बांदा से ज़फर की रिपोर्ट
बांदा। मकर संक्रांति पर बड़ी संख्या में लोगों ने बांदा के केन नदी में स्नान करते हुए खिचड़ी का दान किया। इस दौरान भूरागढ़ दुर्ग में नट बली की समाधि पर आयोजित 3 दिवसीय मेले के दूसरे दिन मंगलवार को प्रेमियों और ग्रामीणों ने मत्था टेका। प्रेमी जोड़ों ने समाधि में मत्था टेकते हुए मन्नते मानी।
मकर संक्रांति पर 3 दिवसीय मेले के दूसरे दिन शहर और गांव से हजारों लोग पहुंचे के नदी में नौका विहार का लुफ्त उठाया। इस दौरान खिचड़ी भी बांटी गई। केन नदी घाट के किनारे से लेकर भूरागढ़ किले तक पुलिस की निगरानी रही, पुलिस फोर्स तैनात रहा।
इसके साथ ही प्राचीन भूरागढ़ दुर्ग की इमारतों पर भी पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था,मेले में आए लोगों ने नौका विहार का लुफ्त भी उठाया। केन नदी के किनारे सदियों से मोहब्बत का पैगाम दे रहा नटबली का मंदिर यूं ही नहीं खास है । केन की झर झर बहती लहरें एक अनूठी मोहब्बत व अद्भुत प्रेम कहानी का चश्मदीद गवाह हैं।
क्या है मोहब्बत की कहानी
बताते हैं लगभग 651 वर्ष पूर्व ग्राम भूरागढ़ में भूरा नाम का नट रहता था। भूरागढ राजघराने से ताल्लुक रखने वाली राजकुमारी से उसे प्यार हो गया था। दोनों एक दूसरे को बेपनाह मोहब्बत करते थे। राजघराने के लोगों को यह ऩगवार गुजरा और साजिश रच के प्रेमी को मरवा दिया।
प्रेमी की मौत की खबर सुनते ही प्रेमिका ने भी जान दे दी। तब से इन दोनों की प्रेम कथा अमर हो गई। प्रेमी की याद में लोगों ने केन नदी किनारे उसका मंदिर बनवा दिया,तब से यह मंदिर हर साल मकर संक्रांति पर प्रेमी जोड़ों से गुलजार हो जाता है।