नई दिल्ली। वक्फ विधेयक को लेकर देश में जारी सियासी गर्माहट के बीच संसद की संयुक्त समिति (JPC) ने बुधवार को बहुमत से अपनी मसौदा रिपोर्ट और प्रस्तावित संशोधित कानून को स्वीकार कर लिया है।
इस बात की जानकारी JPC अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने दी है। हालांकि, सांसदों को अपनी असहमति दर्ज कराने के लिए शाम 4 बजे तक का समय दिया गया था।
विपक्षी सांसदों ने बताया अलोकतांत्रिक
दूसरी ओर विपक्षी सांसदों ने इस प्रक्रिया को अलोकतांत्रिक बताया है। आरोप लगाया कि उन्हें अंतिम रिपोर्ट का अध्ययन करने और अपनी असहमति व्यक्त करने के लिए बहुत कम समय दिया गया। शिवसेना (UBT) सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि सभी विपक्षी सदस्य अपनी असहमति दर्ज कराएंगे।
समिति ने कल पेश की थी रिपोर्ट
संसदीय समिति ने वक्फ विधेयक की समीक्षा के बाद 655 पन्नों की रिपोर्ट जारी की, जिसमें सभी बदलावों को शामिल किया गया है जो विधेयक के सदस्यों द्वारा सुझाए गए थे। हालांकि, विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उनके द्वारा किए गए संशोधनों को इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है।
इसके बाद समिति ने यह स्पष्ट किया है कि संशोधित कानून लागू होने के बाद मौजूदा वक्फ संपत्तियों की जांच नहीं की जाएगी, अगर वे संपत्तियां विवादित नहीं हैं या सरकार की संपत्ति नहीं हैं। बता दें कि समिति ने 14 संशोधनों को मंजूरी दी है, जिनमें अधिकतर संशोधन भाजपा या उसके सहयोगी सांसदों द्वारा सुझाए गए हैं।
वक्फ बोर्डों के संचालन में कई बदलाव
विधेयक में वक्फ बोर्डों के संचालन में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जैसे कि अब बोर्ड में गैर-मुस्लिम और कम से कम दो महिला सदस्यों को नामित किया जाएगा।
इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, दो पूर्व न्यायाधीश, चार ‘राष्ट्रीय ख्याति’ के व्यक्ति और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी होंगे, जिनमें से कोई भी इस्लाम धर्म से संबंधित नहीं होगा।
एक नजर वक्फ विधेयक
गौरतलब है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में पेश किया था और इसे 8 अगस्त 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था।
इस विधेयक का उद्देश्य 1995 में बने वक्फ अधिनियम में संशोधन करना है ताकि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सके।