लखनऊ। हाईटेक सिटी का सपना दिखाकर हजारों निवेशकों की गाढ़ी कमाई लूटने वाले अंसल प्रॉपर्टी एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर (अंसल एपीआई) के दिवालिया घोषित होने पर सरकार हरकत में आई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए सोमवार को आवास विभाग और लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के अधिकारियों को तलब किया।
एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने अंसल ग्रुप के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि खरीदारों के हित हर हाल में सुरक्षित होने चाहिए। इस मामले में दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंसल ग्रुप ने खरीदारों के साथ धोखा किया है, जिसे सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी।
इस दौरान उन्होंने कंपनी के सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। प्रभावित आमजन के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ जैसे मामले जिन भी जिलों में अंसल ग्रुप के खिलाफ सामने आ रहे हैं उन सभी जिलों में FIR दर्ज कराई जाए।
CM ने LDA और खरीदारों की एक समिति तैयार करने के निर्देश भी दिए, जिससे न्यायालय में अंसल के खिलाफ मजबूती से साक्ष्यों को प्रस्तुत किया जा सके। इससे अंसल ग्रुप के लोगों को सजा दिलाने में आसानी होगी।
बैठक के दौरान अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLT) की ओर से लखनऊ विकास प्राधिकरण व आवास विभाग को बिना नोटिस दिए एकपक्षीय आदेश पारित किया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी व्यक्त करते हुए उक्त आदेश के विरुद्ध अपील करने के निर्देश दिए।
LDA उपाध्यक्ष ने क्या कहा
मुख्यमंत्री के साथ बैठक खत्म होने के तत्काल बाद एलडीए कार्यालय में पत्रकार वार्ता में उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने अंसल पर FIR कराने और NCLT के निर्णय के विरुद्ध अपील दाखिल करने सहित आगे की कार्ययोजना के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि आवंटियों को पूरा न्याय मिलेगा और जिसकी जो शिकायत होगी उस पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। उपाध्यक्ष ने कहा, NCLT के आदेश में LDA या आवास विभाग को न तो पक्षकार बनाया गया और न ही उसे नोटिस दिया गया, जबकि अंसल पर 400 करोड़ रुपये से अधिक का LDA का बकाया है।
गांव सभा की जमीन सहित भूमि अर्जन करने में अंसल पर अनियमितता की शिकायतों की जांच होगी और यदि इसमें LDA या किसी अन्य विभाग के अधिकारी या कर्मचारी दोषी मिलते हैं तो कार्रवाई होगी।
वर्ष 2005 में सरकार ने दिया था लाइसेंस
एक सवाल के जवाब में उपाध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि अंसल को लाइसेंस LDA ने नहीं दिया है। वर्ष 2005 में हाईटेक टाउनशिप की नीति के तहत तत्कालीन सरकार ने लाइसेंस जारी किया था।
इससे पहले सुबह सरोजनीनगर से भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने अंसल आवासीय समिति के सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात की और अंसल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
अंसल को घोषित किया गया है दिवालिया
अंसल एपीआई को पिछले माह एनसीएलटी ने दिवालिया घोषित कर दिया है। लखनऊ, नोएडा समेत अन्य स्थानों पर समूह की जमीनों और निवेश को संभालने के लिए अंतिरम समाधान पेशेवर (IRP) को नियुक्त करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है।
कम से कम तीन हजार निवेशकों का पैसा लखनऊ की अंसल की योजना में लगा है, काफी प्लाट का पैसा लिया गया, लेकिन उतनी जमीन ही उपलब्ध नहीं हैं। सरकारी जमीनों को भी बेचने का आरोप समूह पर है।