बंगलूरू। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने आज शनिवार को बताया कि उन्होंने अपने क्रायोजेनिक इंजन की हॉट टेस्टिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है।
जिस क्रायोजेनिक इंजन की हॉट टेस्टिंग की गई है, वह इसरो के लॉन्च व्हीकल मार्क-3 में लगाया जाएगा। यह परीक्षण इसरो के तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में स्थित प्रोपल्शन कॉम्पलेक्स में किया गया। लॉन्च व्हीकल मार्क-3 एक त्रि-स्तरीय मध्यम भार लॉन्च व्हीकल है, जिसे इसरो ने ही विकसित किया है।
क्या है क्रायोजेनिक इंजन?
क्रायोजेनिक इंजन अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों का अंतिम चरण है जो क्रायोजेनिक्स का उपयोग करता है। क्रायोजेनिक्स का आशय अंतरिक्ष में भारी वस्तुओं को उठाने और रखने के लिये बेहद कम तापमान (-150 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे) पर सामग्री के व्यवहार का अध्ययन करने से है।
अंतरिक्ष मिशनों के लिए क्रायोजेनिक इंजन बहुत अहम है। यह अंतरिक्ष यानों को अंतरिक्ष में ले जाने में मदद करता है। क्रायोजेनिक इंजन की वजह से, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भरता हासिल हुई है।
क्रायोजेनिक इंजन का क्या है महत्व?
- क्रायोजेनिक इंजन, अंतरिक्ष यानों के लिए ईंधन के प्रति इकाई द्रव्यमान में ज़्यादा ऊर्जा देता है।
- अंतरिक्ष यानों को ज़्यादा पेलोड क्षमता (अधिक वज़न ले जाने की क्षमता) के साथ ले जाने में क्रायोजेनिक इंजन मदद करता है।
- मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए अंतरिक्ष यानों को भी यह क्रायोजेनिक इंजन तैयार करता है।
- यह इंजन अंतरिक्ष यानों में भारी वस्तुओं को उठाने और रखने में मदद करता है।
- पर्यावरण के लिए क्रायोजेनिक इंजन बेहतर विकल्प है क्योंकि यह ईंधन के रूप में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का इस्तेमाल करता है और पानी को उप-उत्पाद के रूप में छोड़ता है।