इन दिनों नागपुर में बन रहा फ्लाइओवर चर्चा में बना हुआ है। क्योंकि फ्लाइओवर अशोक चौक के पास एक मकान की बालकनी से होकर गुजर रहा है। स्थानीय लोग इसे आठवां अजूबा बता रहे हैं और आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं कि बालकनी के अंदर से फ्लाइओवर ले जाने से पहले NHAI एवं महानगरपालिका ने इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की। यदि यह मकान अधिकृत है तो इसको अधिग्रहण करके उसे मुआवजा क्यों नहीं दिया गया एवं यदि अनाधिकृत है तो इसे तोड़ा क्यों नहीं गया? इस पूरी सच्चाई को जानने के लिए हम अशोक चौक पहुंचे। हमने घर के मालिक प्रवीण पत्रे एवं उनकी बेटी सृष्टि से भी बातचीत की। हमने बीजेपी के वरिष्ठ विधायक मोहन मते से भी बातचीत की तो पूरी सच्चाई उजागर हुई।
150 साल पुराना मकान
मकान के मालिक प्रवीण पत्रे एवं उनकी बेटी सृष्टि ने बताया कि यह 150 साल पुरानी उनकी जगह है। यहां पर उनकी छठी पीढ़ी रहती रही है। 25 साल पहले इस घर को रिनोवेट किया गया। उनके घर के बालकनी में से फ्लाइओवर का एक हिस्सा जा रहा है, इससे उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि सुरक्षा को लेकर का काफी चिंतित होंगी तो उनका कहना है कि इससे उन्हें कोई धोखा नहीं है। वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या इस मकान का नक्शा पास हुआ है, क्या यह बालकनी अधिकृत है, इस पर उन्होंने गोल-मटोल जवाब दिया।
998 करोड़ की लागत से बन रहा फ्लाइओवर
बता दें कि लगभग 9.2 किलोमीटर की लंबाई वाले इस फ्लाईओवर की लागत 998 करोड़ है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की देखरेख में इस फ्लाईओवर का निर्माण हो रहा है। NHAI के अधिकारियों ने कैमरे के सामने न आते हुए बताया कि महानगरपालिका को इस संबंध में उन लोगों ने सूचना दे दी थी। अनाधिकृत निर्माण कार्य को तोड़ने के जिम्मेदारी नागपुर महानगरपालिका की होती है। महानगरपालिका के अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।
विधायक ने की कार्रवाई की बात
वहीं दक्षिण नागपुर के विधायक मोहन मते ने इस संबंध में कहा कि उन्हें भी आश्चर्य हो रहा है कि अब तक महानगरपालिका, NIT एवं NHAI के अधिकारियों ने इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि जो भी अधिकारी इसमें इंवॉल्व हैं उन्हें तुरंत निलंबित कर देना चाहिए। नागपुर में डेवलपमेंट का कार्य चल रहा है और इन अधिकारियों के रवैये के कारण नागपुर का नाम बदनाम हो रहा है। फ्लाइओवर बालकनी में जाने से पहले इस मकान मालिक को नोटिस देखकर इसे तोड़ना चाहिए था।