AMU: 65 साल की व्यवस्था खत्म, ग्यारहवीं कक्षा के दाखिले में स्पोर्ट्स कोटे का नहीं मिलेगा फायदा

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AMU: 65 साल की व्यवस्था खत्म, ग्यारहवीं कक्षा के दाखिले में स्पोर्ट्स कोटे का नहीं मिलेगा फायदा

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में कक्षा 11वीं में प्रवेश के लिए स्पोर्ट्स कोटा खत्म कर दिया गया है। स्पोर्ट्स कोटे में प्रवेश की यह व्यवस्था पिछले 65 साल से चली आ रही थी। हर साल तीस से चालीस तक दाखिले होते थे। एएमयू के इस कदम पर खिलाड़ियों ने सख्त एतराज जताते हुए कहा है कि एक तरफ सरकार खेल-खिलाड़ी को बढ़ावा दे रही है, तो दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी खत्म करने पर अड़ी हुई है।

यूनिवर्सिटी के स्कूलों में कक्षा 11 (विज्ञान), (वाणिज्य), (कला-मानविकी) और डिप्लोमा इन इंजीनियरिंग में स्पोर्ट्स कोटे के तहत करीब तीस से चालीस खिलाड़ियों के दाखिले होते थे। दाखिला लेने के बाद खिलाड़ी राइडिंग, हाॅकी, टेनिस, फुटबॉल, वॉलीबाॅल, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस, स्केटिंग, भारोत्तोलन, पावर लिफ्टिंग, कुश्ती, एथलेटिक्स और क्रिकेट में प्रशिक्षकों की देखरेख में खुद को तराशना शुरू कर देते थे।

कक्षा खत्म होने के बाद शाम को सभी खिलाड़ी मैदान पर आ जाते थे, जहां खूब पसीना बहाते। उनमें आगे बढ़ने की संभावनाओं को देखकर प्रशिक्षक भी खूब मेहनत करते हैं, लेकिन 11वीं में स्पोर्ट्स कोटा खत्म होने के बाद खिलाड़ियों की प्रतिभावान पौध खत्म हो जाएगी। स्पोर्ट्स कोटे के तहत पद्मश्री जफर इकबाल, वजीर अली सहित अन्य खिलाड़ियों ने दाखिला लिया था।

स्पोर्ट्स कोटा खत्म होना अच्छा नहीं है। कुछ ऐसे भी बच्चे होते हैं, जो अच्छे खिलाड़ी होते हैं, जिन्हें स्पोर्ट्स कोटे से काफी उम्मीदें होती हैं। जब खिलाड़ी मेडल लाता है, तो एएमयू का नाम होता है। एक तरफ सरकार खेल को बढ़ावा दे रही है, तो दूसरी तरफ इंतजामिया खेल-खिलाड़ी को तवज्जो नहीं दे रही है।-तंजीला, राष्ट्रीय खिलाड़ी, रोलर स्केटिंग

यूनिवर्सिटी ने स्पोर्ट्स कोटा खत्म करने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। यूनिवर्सिटी नहीं चाहती है कि कोई खिलाड़ी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले। पहले राइडिंग क्लब की जमीन चली गई और अब 11वीं में स्पोर्ट्स कोटा खत्म कर दिया गया है।-पारस, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, कुश्ती

कक्षा 11वीं में स्पोर्ट्स कोटे के तहत होने वाला दाखिला बंद कर दिया गया है। पहले प्रवेश परीक्षा फॉर्म में स्पोर्ट्स कोटे का कॉलम था, लेकिन बाद में जो वेबसाइट पर एडमिशन गाइड अपलोड की गई, उसमें स्पोर्ट्स कोटे का कॉलम नहीं था।-प्रो. सैयद अमजद रिजवी, सचिव, गेम्स कमेटी, एएमयू

इन्होंने एएमयू का चमकाया नाम
यूनिवर्सिटी के मैदान से कुछ ऐसे भी खिलाड़ी निकले, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेरी। यहीं पढ़े और प्रशिक्षण लेने के बाद टेनिस में गौस मोहम्मद, क्रिकेट में वजीर अली, सीएस नायडू, जहांगीर खान, अली हसन, मोहम्मद सलाह उद्दीन, मुश्ताक अली, हॉकी में ओलंपियन अब्दुल कयूम, अख्तर हुसैन, अली सईद, अनवर अहमद, असद अली किदवई, असलम शेर खान, डी.स्वामी, बीपी गोविंदा, इनामुर्रहमान, जोगिंदर सिंह, मसूद मिन्हाज, पद्मश्री जफर इकबाल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब नाम कमाया।

1875 में मदरसा के रूप में शुरू हुई थी यूनिवर्सिटी
यूनिवर्सिटी की शुरुआत वर्ष 1875 में मदरसा के रूप में हुई थी। 1877 में एमएओ कॉलेज शुरू हुआ और 1920 में यूनिवर्सिटी बनी। 1960 में गेम्स कमेटी बनी। स्पोर्ट्स कोटे से विद्यार्थियों के दाखिले होने लगे। पहले सभी पाठ्यक्रमों में स्पोर्ट्स कोटा निर्धारित था, लेकिन बाद में पाठ्यक्रमों में धीरे-धीरे कोटा बंद होने लगा।

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