अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के वनस्पति विभाग के संग्रहालय में रखे एक हजार साल से अधिक पुराने पेड़ों की जड़, तना, फूल, फल और जीवाश्म आकर्षण का केंद्र है। यह संग्रह न केवल जैव विविधता का अनोखा उदाहरण है, बल्कि प्रकृति के विकासक्रम की सजीव झलक प्रस्तुत करते हैं।
विभाग के अध्यक्ष प्रो. अबरार अहमद खान ने बताया कि संग्रहालय में भारत के विभिन्न राज्यों से एकत्र किए गए सैकड़ों दुर्लभ पौधों के जीवाश्म और जड़ों के नमूने संरक्षित हैं। इनमें कई नमूने सैकड़ों वर्ष पुराने हैं, जो पृथ्वी पर जीवन के क्रमिक विकास को समझने में मदद करते हैं। इनमें कुछ तो 350 मीलियन वर्ष पुराने हैं। उस समय पेड़ों पर फूल नहीं होते थे और इनकी ऊंचाई 300 फीट तक होती थी।
अबरार अहमद ने बताया कि इनमें सेकु, साइकस, मोरपंखी, पहाड़ों पर पाए जाने वाले पाइनस, सीडरस, एवीज आदि आज भी है। कोनीफेरस वंश के पौधे यानी त्रिकोणीय प्रजातियों के पौधे उन्हीं प्रजातियों के हैं। उन्होंने कहा कि यह संग्रह विद्यार्थियों के लिए जीवंत प्रयोगशाला की तरह है। यहां उन्हें पौधों की संरचना, विकास और जैव विविधता का प्रत्यक्ष अध्ययन करने का अवसर मिलता है। विभाग ने इन नमूनों को सुरक्षित रखने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया है। बृहस्पतिवार को विद्यार्थियों ने संग्रहालय में पौधों के इतिहास और संरचना की जानकारी हासिल की।
वर्ष 1935 में विभाग में शुरू हुआ अनुसंधान
वनस्पति विज्ञान विभाग यूनिवर्सिटी के सबसे पुराने विभागों में से एक है। इसकी स्थापना 1923 में हुई थी। वर्ष 1935 में अनुसंधान शुरू हो गया था। विभाग का वर्तमान भवन 1931 में हैदराबाद के निजाम की वित्तीय सहायता से अस्तित्व में आया था। यहां प्लांट पैथोलॉजी, प्लांट फिजियोलॉजी, साइटोजेनेटिक्स, प्लांट ब्रीडिंग, पर्यावरण वनस्पति विज्ञान, प्लांट बायोटेक्नोलॉजी, सिस्टमिक बॉटनी की शिक्षा दी जाती है। लगभग 95 एकड़ क्षेत्र में एक वनस्पति उद्यान भी है

