दूसरों को नियोजित विकास का पाठ पढ़ाने वाला बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) खुद इसका पालन नहीं कर रहा। रामगंगानगर आवासीय योजना में भूखंड बेचकर प्राधिकरण ने करोड़ों रुपये कमाए, पर खरीदारों को सुविधाएं मुहैया कराने में फिसड्डी साबित हुआ। कॉलोनी की सड़कें-नालियां क्षतिग्रस्त हैं। रोशनी नदारद है। सुरक्षा तक का इंतजाम नहीं है। सेक्टर-नौ के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। सुविधाएं मुहैया कराने के बजाय जिम्मेदार दूसरी योजनाओं में प्लॉटिंग कराने में व्यस्त हैं।
चार साल पूर्व बसाई गई रामगंगानगर आवासीय योजना की पड़ताल में यह तस्वीर उभरकर सामने आई। बुधवार दोपहर एक बजे टीम सेक्टर-नौ (सत्यम एन्क्लेव) के प्रवेश द्वार पर पहुंची। वहां बने गार्ड रूम में बिजली कनेक्शन तक नहीं है। कॉलोनी के अंदर भी नागरिक सुविधाएं शून्य मिलीं। पानी की टंकी बनी है, पर जलापूर्ति नहीं होती। नलकूप के दरवाजे पर ताला लटक रहा है, जबकि प्राधिकरण प्रत्येक घर में टंकी से जलापूर्ति का दावा कर रहा है।
साफ-सफाई नहीं होने से पूरी कॉलोनी झाड़ियों और मच्छरों की गिरफ्त में है। सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। चोक नालियों में बारिश का पानी भरा है। स्ट्रीट लाइटें नहीं जलतीं। लोगों ने खुद के खर्च पर सुरक्षा का इंतजाम कर रखा है। नागरिकों का कहना है कि उन्होंने अच्छी सुविधाओं वाली आवासीय कॉलोनी समझकर लाखों रुपये खर्च कर भूखंड खरीदे और मकान बनवाए, लेकिन यहां असुविधाओं का बोलबाला है। खरीदार खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।