बरेली के अपर सत्र न्यायाधीश तबरेज अहमद ने दहेज की मांग पूरी न होने पर पत्नी को जिंदा जलाने के दोषी शीशगढ़ थाना क्षेत्र के कनकटी निवासी अजय को उम्रकैद और 60 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। मामले के 16 में से सात गवाह पक्षद्रोही हो गए। कोर्ट ने विवाहिता के मृत्यु पूर्व दिए गए बयान को महत्व दिया।
शीशगढ़ थाना क्षेत्र के गांव कनकटी निवासी शिवानी ने तीन जनवरी 2019 को पति अजय उर्फ मटरू, जेठ राहुल, कुंवरपाल और सास नीरज के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बताया था कि उसकी शादी एक साल पहले हुई थी। ससुराल वाले दहेज में बाइक लाने का दबाव बनाते थे। तीन जनवरी को पति ने मिट्टी का तेल उड़ेलकर उसे जिंदा जला दिया। इलाज के दौरान 28 फरवरी को शिवानी की मौत हो गई तो पुलिस ने मामले में दहेज हत्या और हत्या की धाराओं को बढ़ा दिया।
मृतका के माता-पिता भी हुए पक्षद्रोही
शिवानी ने मृत्यु पूर्व मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दिया था कि पति अजय ने उसको जलाया था। उस समय सास और जेठ घर के बाहर थे। पुलिस ने 19 अगस्त को चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 16 गवाह और 18 साक्ष्य पेश किए गए। मृतका के माता-पिता समेत सात गवाह पक्षद्रोही हो गए। कोर्ट ने शिवानी के मृत्यु पूर्व दिए गए बयान को अहम मानते हुए दोनों जेठ व सास को दोषमुक्त कर दिया, जबकि पति अजय उर्फ मटरू को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।
कोर्ट की टिप्पणी : मृत्यु पूर्व बयान पर संदेह नहीं
बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि शिवानी मानसिक रूप से कमजोर थी। खाना बनाते समय कपड़ों में आग लगने से उसकी मृत्यु हुई थी। उसके माता-पिता भी पक्षद्रोही हो गए हैं। ऐसे में आरोपियों को बरी करना उचित होगा। कोर्ट ने टिप्पणी की कि माता-पिता या अन्य गवाहों के पक्षद्रोही होने से शिवानी के मृत्यु पूर्व बयान पर संदेह नहीं किया जा सकता।