हरथला निवासी जफर की सात माह की भतीजी हीर को खांसी, जुकाम व बुखार है। मंगलवार को वह बच्ची को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टर ने ओपीडी के पर्चे पर दवा लिखी। साथ ही एक छोटी पर्ची भी थमाई और कहा कि यह दवा बाहर से ले लेना।
जिला अस्पताल में औषधि वितरण कक्ष की स्थिति यह रही कि डॉक्टर की लिखी पूरी दवा ही वहां नहीं मिली। बच्ची का खांसी का सिरप लेने के लिए परिजनों को निजी मेडिकल स्टोर पर जाना पड़ा। ऐसे तमाम मरीज रोजाना मंडल स्तरीय जिला अस्पताल में आते हैं, जिन्हें दवा न मिलने से निराश होकर बाहर से खरीदनी पड़ती है।
अस्पताल प्रबंधन के दावे के मुताबिक औषधि स्टोर में प्रदेश निदेशालय की सूची के मुताबिक 302 दवाएं हैं। इसके बावजूद मरीज दवाएं बाहर से लेने के लिए मजबूर हैं। मंगलवार को भी जिला अस्पताल में खांसी का सिरप, दर्द के लिए एसीक्लोफीनेक टैबलेट, डायक्लोफीनेक जेल, पाइल्स की दवा, कुछ आई ड्रॉप मरीजों को नहीं मिले।
अपने पांच वर्षीय बेटे शगुन के लिए पिता टिंकू आई ड्रॉप लेने जन औषधि केंद्र पर पहुंचे तो वहां भी निराशा हाथ लगी। टिंकू ने बताया कि बेटे को दस्त की शिकायत है। आंखों से लगातार पानी आ रहा है। दस्त की दवा अस्पताल में मिल गई, लेकिन आई ड्रॉप बाहर से लेनी पड़ेगी।

