समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा है कि सरकार कांवड़ यात्रा के नाम पर हिंदू और मुसलमानों के बीच दूरियां पैदा कर रही है। धर्म का पता लगाने के लिए कपड़े उतरवाकर चेकिंग करना आतंकियों जैसा सलूक है। इसके दूरगामी परिणाम होंगे। सांप्रदायिकता बढ़ेगी।
मुरादाबाद से सपा के पूर्व सांसद ने बुधवार शाम पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि शासन ने दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने के आदेश दिए हैं। इस मामले में उनको कोई आपत्ति नहीं है। इसका पालन प्रशासनिक अधिकारी कराएंगे।
पता चला है कि मुजफ्फरनगर में कुछ लोगों ने धर्म का पता लगाने के लिए एक ढाबे के कर्मचारियों के कपड़े उतरवाकर चेकिंग की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह आतंकियों जैसा सलूक है। पहलगाम में भी आतंकियों ने ऐसा ही कृत्य किया था। चेकिंग का काम सिर्फ प्रशासन का है।
कांवड़ यात्रा हजारों साल से चल रही है। इसमें मुस्लिम भाई भी शरीक होते रहे हैं, भंडारे भी लगाते रहे हैं। दोनों वर्ग प्यार-मोहब्बत से रहते हैं। पहले यात्रा को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं था लेकिन वर्तमान सरकार नए नियमों को लागू कर दोनों वर्गों के बीच दूरियां पैदा कर रही है।
हम एक साथ रहते हैं। खाना-पीना साथ करते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि आबादी अपने हिसाब से बंट गई तो देश कमजोर होगा या मजबूत। यह आम लोगों को तय करना है।