गोरखपुर: सरकारी स्कूल की छत का प्‍लास्‍टर गिरा, एक बच्‍चा गंभीर रूप से घायल, प्राचार्य सस्‍पेंड

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गोरखपुर: सरकारी स्कूल की छत का प्‍लास्‍टर गिरा, एक बच्‍चा गंभीर रूप से घायल, प्राचार्य सस्‍पेंड

यूपी के गोरखपुर में शनिवार को एक कंपोजिट स्कूल की छत का प्लास्टर गिर गया। इस हादसे में पांचवीं कक्षा का एक छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया। यह स्कूल जर्जर हो चुके भवन में चल रहा था। घटना के बाद स्‍कूल के प्रधानाचार्य को सस्‍पेंड कर दिया गया है और गोरखपुर के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के सभी विद्यालयों के जांच के आदेश दे दिए गए हैं। मामला गोरखपुर के चिलुआताल थानाक्षेत्र का है। यहां चरगावां ब्‍लाक के बालापार में कंपोजिट स्कूल की छत का प्लास्टर गिरा है। इस स्कूल की स्‍थापना साल 1993 में हुई थी।

शनिवार 2 अगस्‍त को सुबह रोज की तरह कक्षाएं सामान्‍य तरीके से चल रही थीं। इसी दौरान कक्षा 5 में पहली पंक्ति की पहली सीट पर बैठे बच्‍चे के सिर के ऊपर छत से प्‍लास्‍टर का बड़ा टुकड़ा टूटकर गिर गया। इस हादसे में बच्‍चा गंभीर रूप से घायल हो गया, उसके सिर से खून बहने लगा। स्‍कूल में चीख-पुकार मच गई। सभी शिक्षक और शिक्षिकाएं बेसुध हो रहे बच्‍चे को संभालने में जुट गए। घाल बच्चे के सिर से तेजी से खून बहने लगा। आनन-फानन में बच्‍चे को स्‍कूल से अस्‍पताल ले जाया गया। इसके बाद उसकी हालत गंभीर देखकर चिकित्‍सकों ने उसे बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। जहां उसकी हालत खतरे से बाहर है।

गोरखपुर बीएसए का बयान गोरखपुर के बीएसए रमेन्‍द्र सिंह ने बताया कि विकासखंड चरगावां के कंपोजिट पूर्व माध्यमिक विद्यालय में छत के प्‍लास्‍टर का टुकड़ा गिर गया। वहां पर एक बच्‍चा बैठा था, उसके सिर पर लगा। उसे चोट लगी है। बच्‍चे का इलाज कराया गया और उसका सिटी स्‍कैन भी कराया गया है। बच्‍चा पूरी तरह ठीक है। वे सभी अध्‍यापकों से अपील करते हैं कि डीएम की ओर से एडवायजरी जारी है। बरसात का मौसम है। कोई भी विद्यालय का कमरा जर्जर हो, तो अलग बैठें। खुद भी सुरक्षित रहें और बच्‍चों को भी अलग बैठाएं। वहां बैठने के लिए कमरे नहीं हैं, तो सभी खंड शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि पास के विद्यालय में बच्‍चों की कक्षाएं संचालित कराई जाएं। बच्‍चों की शिक्षा और बच्‍चों की सुरक्षा सर्वोपरि है।

प्रधानाचार्य निलंबित बीएसए रमेन्‍द्र सिंह ने बताया कि लापरवाही की वजह से प्रधानाचार्य को निलंबित कर दिया गया है। प्रधानाध्‍यापक और सहायक अध्‍यापक को देखना चाहिए था कि असुरक्षित है, तो इसका ध्‍यान रखना चाहिए। ऐसी लापरवाही करेंगे, तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है। बच्‍चों की और खुद की सुरक्षा जरूरी है। इसके लिए पुराने स्कूल भवन को गिराकर नए भवन बनाए जा रहे हैं। पीडब्‍ल्‍यूडी से मूल्‍यांकन कराकर 250 विद्यालयों का ध्‍वस्‍तीकरण कराया जा चुका है। यहां पर पर्याप्‍त कमरे हैं। ऐसे में इस कक्षा को कहीं दूसरे कमरे में स्‍थानांतरित कर देना चाहिए था।

केंद्र की बात मानते तो टल सकता था हादसा राजस्थान के झालावाड़ में एक स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर सरकारी और निजी स्कूलों की इमारतों की जांच कराने के लिए कहा था। केंद्र की तरफ से बिना देरी किए जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई थी। हालांकि, सरकारी आदेश आने के दो सप्ताह बाद यह घटना हुई है।

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