हर्षा रिछारिया की सनातनी युवा हिंदू जोड़ो पदयात्रा अलीगढ़ के अतरौली से होकर गुजरी। पदयात्रा का स्वागत किया गया। 18 अप्रैल सुबह पदयात्रा अतरौली से नरौरा जाने के लिए रामघाट की ओर रवाना हो गई।
हर्षा रिछारिया ने कहा कि सनातन संस्कृति की रक्षा और हिंदू जगाने का संकल्प लेकर पदयात्रा वृंदावन से 14 अप्रैल को शुरू की थी, जो संभल तक जानी है। पुलिस-प्रशासन जगह-जगह उनकी यात्रा को रोकर बाधा उत्पन्न कर रहा है, जो गलत है। प्रशासन दबाव बना रहा है कि यात्रा नरौरा पर समाप्त हो लेकिन हम संभल तक जाना चाहते हैं। प्रशासन संभल जाने से क्यों मना कर रहा है यह समझ से परे है। उन्होंने कहा कि हिंदूओं को जातियों में नहीं बंटना है। यदि आज बंट गए तो आने वाली पीढ़ी कभी माफ नहीं करेगी। । मैं ईश्वर के बताए मार्ग पर चल रही हूं।
कल्याण सिंह की भूमि पर मिली सुखद अनुभूति-हर्षा
हर्षा रिछारिया ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन के प्रणेता रहे कल्याण सिंह की भूमि पर आकर बेहद ही सुखद अनुभूति हुई है। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि राम मंदिर निर्माण के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी त्यागने वाले कल्याण सिंह ने जिस जमीन पर जन्म लिया वहां हमें आने का मौका मिला। जो शिक्षा उन्होंने सिखाई है उसी को लेकर हम आगे लेकर चलें। बाल कवियित्री आरोही तिवारी, सतेंद्र कसेरे, कुलदीप तिवारी, राधेश्याम बंसल, विमल वार्ष्णेय, दुर्गेश वार्ष्णेय, विक्की राजपूत, कृष्णमोहन वार्ष्णेय, रिषभ वार्ष्णेय, गौरव शर्मा, उमेश वार्ष्णेय आदि ने पदयात्रा का स्वागत किया।