हसीना 5 अगस्त को होने वाली थीं कुर्बान, 1.30 बजे भारत से गए एक फोन ने बचा ली जान; बांग्लादेश पर आई किताब में खुलासा

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हसीना 5 अगस्त को होने वाली थीं कुर्बान, 1.30 बजे भारत से गए एक फोन ने बचा ली जान; बांग्लादेश पर आई किताब में खुलासा

ढाकाः बांग्लादेश में पिछले साल अगस्त में हुए व्यापक आंदोलन के दौरान अपदस्थ हुईं प्रधानमंत्री शेख हसीना की जान खतरे में थी, मगर भारत से दोपहर डेढ़(1.30) बजे गई एक फोन कॉल ने उनकी जान बचा ली। बांग्लादेश आंदोलन पर हाल ही में आई एक नई किताब में इस बात का खुलासा हुआ है। भारत से हरी झंडी मिलते ही शेख हसीना ढाका के गणभवन में भीड़ के घुसने से 20 मिनट पहले भाग निकलने में कामयाब हो गई थीं। किताब में लिखा गया है कि यदि उन्हें भारत से एक टेलीफोन कॉल न मिला होता, तो वे वहीं रुक जातीं और भीड़ का सामना करने को मजबूर हो जातीं। ऐसे में उनकी जान बच पान मुश्किल था।

जानें कैसे फ्लाइट से बांग्लादेश से भारत पहुंचीं शेख हसीना भारत से मिली उस कॉल ने शेख हसीना को दोपहर में हेलीकॉप्टर पर चढ़ने के लिए प्रेरित किया, जो अंततः एक कार्गो फ्लाइट के जरिए उन्हें भारत ले गया। अभी वह यहीं निर्वासन में हैं। यदि हसीना को 5 अगस्त 2024 को दोपहर 1:30 बजे वह कॉल न मिला होता, तो वे बहुत आसानी से अपने पिता की तरह हत्या का शिकार हो सकती थीं, क्योंकि उस समय तक एक विशाल भीड़ उनसे मात्र दो किलोमीटर दूर थी। यह सनसनीखेज खुलासा एक बांग्लादेश पर आई नई किताब ‘इंशाअल्लाह बांग्लादेश: द स्टोरी ऑफ एन अनफिनिश्ड रेवोल्यूशन‘ में किया गया है। हालांकि इस किताब का अभी विमोचन होना बाकी है। 

किसने लिखी किताब 

इस किताब को दीप हल्दर, जयदीप मजूमदार और साहिदुल हसन खोकोन ने लिखा है। जुगरनॉट द्वारा प्रकाशित किया गया है। हालांकि भारतीय विमानन अधिकारियों ने पहले ही बांग्लादेशी प्रधानमंत्री को ले जाने वाले किसी भी विमान को भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति दे दी थी। मगर किताब का दावा है कि 5 अगस्त 2024 को दोपहर 1:30 बजे तक भी बांग्लादेशी सेना प्रमुख जनरल वाकेर-उज-जमान, साथ ही वायुसेना और नौसेना प्रमुख, “जिद्दी” हसीना को मनाने में विफल रहे, जिन्होंने अपनी बहन शेख रेहाना से “विनती” करने की कोशिश की। यहां तक कि अमेरिका में रहने वाले  हसीना के बेटे साजीद वाजीद को फोन किया गया, जिन्होंने हसीना से “भारत भागने” के बारे में बात की, जबकि उन्मादी भीड़ गणभवन की ओर बढ़ रही थी। 

हसीना देश छोड़कर भागना नहीं चाहती थीं

किताब में दावा किया गया है कि हसीना ने अपने बेटे से बातचीत में कहा कि वे “अपने देश से भागने के बजाय मरना पसंद करेंगी”…लेकिन क्या बदला? एक मिनट में, एक कॉल आया, जो किताब में नाम न बताए गए किसी व्यक्ति से था, लेकिन उन्हें “शेख हसीना जिसे अच्छी तरह जानती थीं, भारत का एक शीर्ष अधिकारी” बताया गया है। बातचीत किस बारे में थी? “यह एक छोटा कॉल था। अधिकारी ने शेख हसीना को बताया कि अब बहुत देर हो चुकी है…और यदि वे तुरंत गणभवन नहीं छोड़ देंगी, तो उनकी हत्या कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें जीवित रहकर बाद में दिन लड़ना चाहिए,” इसी तरह कॉल का वर्णन किया गया है। 

फोन कॉल के बाद बदला हसीना का फैसला

भारत से फोन कॉल पर मिले इस स्पष्ट संदेश से हसीना स्तब्ध रह गईं। उन्होंने एक और आधा घंटा सोचने के बाद फैसला किया कि वे जीवित रहकर एक और दिन लड़ेंगी। एक स्पष्ट संदेश जिस पर हसीना ने अपने खून से ज्यादा भरोसा किया, ठीक उस पल में जब फैसला जीवन या मौत का सवाल बन चुका था। हसीना ने जाने से पहले एक भाषण रिकॉर्ड करने का अनुरोध किया, जिसे सेवा प्रमुखों ने अस्वीकार कर दिया, क्योंकि किसी भी समय भीड़ गणभवन में घुसने वाली थी। पूर्व पीएम की बहन शेख रेहाना ने हसीना को मनाने की कोशिश की, उन्हें एक एसयूवी में खींचकर हेलीपैड पर ले गईं। दिल्ली जाने के लिए उनके साथ केवल दो सूटकेस कपड़ों के थे। दोपहर 2:23 बजे, हेलीकॉप्टर गणभवन से उड़ा और 2:35 बजे तेजगांव एयर बेस पर उतरा।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने हिंडन एयरबेस पर किया रिसीव “विमान दोपहर 2:42 बजे तेजगांव से उड़ान भरा, बादलों से ढके आकाश में, बादल की परत तोड़कर लगभग बीस मिनट बाद पश्चिम बंगाल के मालदा के ऊपर भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया। किताब में वर्णन है है कि उड़ान भरने का समय एक और छोटी बारिश के दौर के साथ मेल खाता था। उस दिन हसीना का विमान सी-130 जे हिंडन एयरबेस पर उतरा, जहां उन्हें भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने स्वागत किया और उनकी सुरक्षा के लिए दिल्ली के एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया।

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