‘भारत कुछ खास नहीं कर सकता’, यमन में निमिषा प्रिया को फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट से बोले अटॉर्नी जनरल

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‘भारत कुछ खास नहीं कर सकता’, यमन में निमिषा प्रिया को फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट से बोले अटॉर्नी जनरल

निमिषा प्रिया मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई। भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया को यमन में दी गई फांसी की सजा से बचाने के मकसद से दायर की गई याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के सामने हुई इस सुनवाई में भारत सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट में कहा कि यमन की संवेदनशीलता को देखते हुए, सरकार कुछ खास नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि भारत सरकार एक हद तक जा सकती है। हम उस हद तक पहुंच चुके हैं।

सुनवाई की प्रमुख बातें​ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इसमें कैसे आदेश दे सकते हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि नर्स की माँ यमन में है, लेकिन वह एक घरेलू कामगार है। पीड़ित परिवार से बातचीत के लिए, हम यूनियन से अनुरोध कर रहे हैं। धन का प्रबंध हम पर निर्भर है। आज मौत की सज़ा से बचने के लिए केवल यही संभव है कि परिवार को मना लिया जाए। जस्टिस मेहता ने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है। लेकिन यहां कि अदालत क्या करेगी। एजी वेंकटरमणी ने कहा कि यमन की संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार कुछ नहीं कर सकती। इसे कूटनीतिक रूप से मान्यता नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार प्रयास कर रही है। हम शुक्रवार को मामले पर अगली सुनवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने एजी से कहा कि जो भी बात हुई है उसके बारे में शुक्रवार को सूचित करिए। एजी ने कहा कि हमें यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि असल में क्या हो रहा है। हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं। जस्टिस मेहता ने कहा कि चिंता की असली वजह यह है कि घटना कैसे हुई। अगर वह अपनी जान गँवा देती हैं तो यह बहुत दुखद होगा। एजी ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जहाँ सरकार से इसके अलावा कुछ और करने के लिए कहा जा सके, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जस्टिस मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता सिर्फ़ बातचीत की माँग कर रहा है।  एजी ने कहा कि हो सकता है कि ज़्यादा पैसे का सवाल हो, हमें नहीं पता। ऐसा लग रहा है कि एक तरह का गतिरोध है। सरकार पूरी कोशिश कर रही है। जस्टिस नाथ ने याचिकाकर्ता से कहा कि अब आप हमसे क्या चाहते हैं? याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील ने कहा कि स्थानीय दूतावास के अधिकारी माँ के साथ यमन की जेल में जाते हैं। यहाँ तक कि नेकदिल लोग भी वहाँ जाकर बातचीत कर सकते हैं। सरकार का कोई भी व्यक्ति बातचीत कर सकता है। यही तो छोटी सी बात है जिसकी हम माँग कर रहे हैं। एजी: ऐसा हो रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर वे कोई संबंध स्थापित कर पाते हैं, तो मौत की सज़ा न हो।बस इतना जस्टिस मेहता ने कहा कि हम यह आदेश कैसे पारित कर सकते हैं? कौन इसका पालन करेगा? जस्टिस नाथ ने कहा कि हम 3-4 दिन बाद फिर से रखेंगे, देखेंगे कि हम कैसे निपटारा कर सकते हैं।  याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील ने कहा कि अगर इस प्रयास से 0.1% का अंतर आता है तो अगर उनकी ओर से बातचीत हो रही है, तो पैसा कोई बाधा न बने। अटॉर्नी जनरल बहुत सक्रिय रहे हैं। जस्टिस मेहता ने इसे एक अनौपचारिक संवाद ही रहने दें। एजी ने कहा कि हम सभी प्रार्थना करते हैं कि कुछ सकारात्मक हो। मामला शुक्रवार को फिर से सूचीबद्ध किया गया है।

क्या है पूरा मामला?

आपको  बता दें कि  प्रिया को 2017 में एक यमनी नागरिक की ‘हत्या’ के लिए मौत की सजा का सामना करना पड़ रहा है, जिसने कथित तौर पर उसे प्रताड़ित किया और उसके साथ मारपीट की।अपना पासपोर्ट उसके कब्जे से वापस पाने के लिए, उसने कथित तौर पर उस यमनी व्यक्ति को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन ज़्यादा मात्रा में दवा लेने से उसकी मौत हो गई। निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जा सकती है।

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