केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ ने सोमवार को आरोप लगाया कि विपक्ष ‘नाटक’ कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा नहीं होने दे रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) ‘कोई मुद्दा नहीं’ है। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे दिन की जब संसद के दोनों सदनों में SIR मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया जिससे कार्यवाही बाधित हुई।
विपक्ष सदन में डाल रहा बाधा-
ललन सिंह भाजपा के सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के नेता ललन सिंह ने जोर दिया कि बिहार में कानून और व्यवस्था का कोई मुद्दा नहीं है। लोकसभा में व्यवधानों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘सरकार सदन में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। यह एक बड़ी घटना (आपरेशन सिंदूर) थी, लेकिन विपक्ष अनावश्यक नाटक करके चर्चा में बाधा डाल रहा है। लोकतंत्र चर्चा के आधार पर कार्य करता है, नाटक पर नहीं।’
विपक्ष की मंशा लोकतंत्र को मजाक बनाने की –
ललन सिंह लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा सूचीबद्ध थी लेकिन विपक्ष के सदस्य एसआईआर पर चर्चा की मांग कर रहे थे। हालांकि, बाद में सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू हुई। सिंह ने कहा, ‘विपक्ष की मंशा लोकतंत्र का मजाक बनाने की है, वे यही कर रहा है।’
SIR कुछ भी नहीं
विपक्ष एसआईआर पर चर्चा की मांग कर रहा है और उसका कहना है कि इस प्रक्रिया के तहत कई पात्र लोगों के नाम मतदाता सूची से हट जाएंगे। इस बारे में पूछे जाने पर JD(U) नेता ने कहा, ‘एसआईआर क्या है? यह कुछ भी नहीं है। यह विपक्ष का बनाया हुआ है।’
बीजेपी के सांसद ने SIR पर जताई चिंता
भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल जद (यू) ने एसआईआर का समर्थन किया है, हालांकि, पार्टी के कुछ नेताओं ने इस कवायद पर सवाल उठाए हैं। बांका से पार्टी सांसद गिरधारी यादव उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने एसआईआर को लेकर चिंता जतायी है। पार्टी ने इस संबंध में अपने सांसद को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
बिहार के कानून-व्यवस्था पर भी बोले ललन सिंह
बिहार के गया में एम्बुलेंस में बलात्कार की कथित घटना के बाद राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर जद (यू) नेता सिंह ने कहा कि ‘घटनाएं कहीं भी हो सकती हैं। यह कानून और व्यवस्था की बात नहीं है, घटनाएं कहीं भी हो सकती हैं। कोई घटना और कानून- व्यवस्था के बीच बहुत बड़ा अंतर है। जो लोग ऐसी घटनाओं में शामिल होते हैं, उन्हें 24 से 36 घंटों के भीतर पकड़ लिया जाता है।’