बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए ‘स्टैंड-अप कॉमेडियन’ कुणाल कामरा के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने संबंधी याचिका पर बुधवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया और कहा कि तब तक कामरा को गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं है। जस्टिस एस कोतवाल और जस्टिस एस मोदक की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अदालत ने पुलिस से कहा कि इस मामले में आदेश पारित होने तक कामरा को गिरफ्तार न किया जाए।
कुणाल कामरा के वकील ने क्या कहा? कुणाल कामरा के खिलाफ खार पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की। इस दौरान कुणाल कामरा के वकील नवजोत सिरवाई ने दलील दी कि चुनाव के दौरान हमारे एक पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को गद्दार कहा था। किसी ने भी नहीं कहा कि एफआईआर की जरूरत है। किसी ने हॉल नहीं तोड़े। जब उद्धव ठाकरे ने अपना पूरा अभियान शिंदे को गद्दार कहते हुए शुरू किया और उन्हें सबक सिखाने के लिए कहा, तब भी किसी ने कुछ नहीं किया। अजित पवार ने शिवसेना नेताओं को गद्दार कहा था, लेकिन मुरजी पटेल (एकनाथ शिंदे गुट के विधायक और शिकायकर्ता) ने पुलिस स्टेशन जाकर एफआईआर दर्ज करवाने की जरूरत नहीं समझी। पवार दरअसल एक नहीं बल्कि उन सभी को गद्दार बता रहे थे जो एकनाथ शिंदे के साथ गए थे। इस मुद्दे पर पूरा अभियान चलाया गया। शिंदे और उनकी सरकार को गद्दार बताया गया।
‘कई नेताओं ने कहा गद्दार’
कुणाल कामरा के वकील ने उद्धव ठाकरे के समाचार लेखों का हवाला देते हुए कहा कि ठाकरे ने कई बार कहा कि सिर्फ मुझे और शरद पवार को ही नहीं बल्कि पूरे राज्य को धोखा दिया गया है। उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले गदराना पंचनामा (मराठी में कहा गया था जिसका मतलब है कि गद्दारों का पंचनामा) होना चाहिए ऐसा भी कहा था। यहां राजनीति अपने चरम पर थी। यह कोई व्यंग्य नहीं था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
वकील ने आगे कहा- जब उद्धव ठाकरे ने कहा कि गद्दारों को फिर से नही चुना जाना चाहिए, तब किसी ने कुछ नहीं कहा। लेकिन कॉमेडियन ने कुछ कहा तो उसको कुचल दो ताकि लोगों को यह संदेश जाए कि आप हमारे खिलाफ बोलने से सावधान रहें। अगर आप कुछ ऐसा कहते हैं जो हमें पसंद नहीं है तो हम आपको पुलिस के जरिए कुचल देंगे। पुलिस ने कुछ नहीं किया और उनकी मौजूदगी में शिवसेना ने वीडियो शूट की जगह पर तोड़फोड़ की। पुलिस द्वारा दर्ज FIR दुर्भावना से ग्रषित है। जब मैं इस मामले की दुर्भावना पर आता हूं, तो कहने के लिए बहुत कुछ है। कृपया टाइम लाइन पर ध्यान दें। शिकायतकर्ता को 23 मार्च को 9.30 बजे वीडियो मिला। उसने 10.45 बजे शिकायत दर्ज कराई। 70 मिनट बाद 11.55 बजे एफआईआर दर्ज की गई। अगले दिन समन भेजा गया और फिर खुली धमकियां दी गईं। पुलिस को कुणाल कामरा की ओर से भेजी गई सूचना मीडिया तक पहुंच रही है और अक्सर गलत तरीके से पेश की जाती है। तस्वीरें और पुतले जलाए जा रहे हैं। पुलिस को यह सब पता है, फिर भी वो पूछताछ के लिए कुणाल कामरा की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग करते हैं। वकील ने कुणाल कामरा के 50 मिनट के शो के बारे में बताते हुए कहा, शो के हिस्से के रूप में याचिकाकर्ता ने महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल पर अपने व्यक्तिगत विचार व्यक्त किए। ये घटनाएं राज्य के इतिहास और अदालतों के कानूनी इतिहास में अंकित हैं। यह 50 मिनट के शो का लगभग 3 मिनट का हिस्सा है। याचिकाकर्ता की ये दलील की किसी और ने गद्दार कहा तो कोई कारवाई नहीं हुई बिल्कुल गलत है। उनके खिलाफ कारवाई नहीं हुई तो मेरे खिलाफ क्यों? सरकारी के वकील ने क्या कहा? सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील हितेन वेनेगाओंकर ने शिकायतकर्ता द्वारा FIR के लिए दिए गए बयान को कोर्ट में पढ़ा जिसमें कुणाल कामरा द्वारा शिंदे के बारे में जो गाना गाया गया था वो भी पढ़ा। वकील ने कहा, ये एक इंडिविजुअल का क्रिटिसिज्म है जो पब्लिक के वोट से जीत कर डिप्टी सीएम बने हैं इसीलिए इसे पॉलिटिकल सटायर नहीं कह सकते हैं, इसे सरकार के कामकाज पर पर्सनल ओपिनियन भी नहीं कहा जा सकता है।
वकील ने कहा, ये एक दुर्भावनापूर्ण टारगेटिंग है। ये एक इंडिविजुअल को टारगेट किया गया है। शिकायत के कंटेंट बताते हैं कि ये संज्ञेय अपराध है और जांच की जरूरत है। जो आरोप लगाए है उसके लिए जांच की जरूरत है। सच जानना है। एविडेंस इकट्ठा करना है इसलिए एफआईआर जरूरी है इसीलिए पुलिस ने FIR दर्ज की है।
शिकायतकर्ता 23 मार्च को रात 10.45 को पुलिस थाने पहुंचे। पुलिस ने वीडियो लिंक सुना और फिर 24 मार्च को 12.08 मध्य रात्री को FIR दर्ज की। ये FIR MIDC पुलिस थाने में दर्ज की गई थी बाद में इसे खार पुलिस थाने में ट्रांसफर किया गया।
खार थाने में कुणाल कामरा के खिलाफ FIR दर्ज मुंबई के एक कॉमेडी शो के दौरान शिंदे के बारे में परोक्ष रूप से ‘‘गद्दार’’ टिप्पणी करने के आरोप में खार थाने में कुणाल कामरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। 36 वर्षीय कामरा ने शिवसेना विधायक की शिकायत पर दर्ज एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है। उनके खिलाफ अन्य थानों में भी शिकायतें दर्ज हैं। कामरा ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनके खिलाफ शिकायतें उनके भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, कोई भी पेशा और व्यवसाय करने के अधिकार तथा संविधान के तहत प्रदत्त जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।
तमिलनाडु के निवासी कामरा को पिछले महीने मद्रास हाईकोर्ट से इस मामले में अंतरिम ट्रांजिट अग्रिम जमानत मिली थी। 3 बार समन भेजे जाने के बावजूद कामरा मुंबई पुलिस के समक्ष पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए।