दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार 17 सितंबर को फिल्म निर्माता करण जौहर की याचिका पर अंतरिम राहत देने की ओर मौखिक रूप से संकेत दिया, जिसमें उन्होंने उनके व्यक्तित्व अधिकारों (Personality Rights) के उल्लंघन के खिलाफ सुरक्षा की मांग की है। करण जौहर ने आरोप लगाया है कि विभिन्न संस्थाएं, जिनमें अज्ञात जॉन डूज भी शामिल हैं, उनकी अनुमति के बिना उनके नाम, छवि, आवाज और पहचान से जुड़ी सामग्री का आर्थिक लाभ के लिए दुरुपयोग कर रही हैं। इसके तहत उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट, फर्जी प्रोफाइल, अश्लील GIFs, मर्चेंडाइज और भ्रामक डोमेन नामों का भी हवाला दिया है।
अदालत की टिप्पणी और निर्देश
उनके वकील वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने अदालत में कहा, ‘ये सामग्री मेरे मुवक्किल की पहचान को जानबूझकर हानि पहुंचाने के इरादे से तैयार की गई है। इसका मक़सद ट्रैफिक खींचना और उससे कमाई करना है।’ न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की एकल पीठ ने मौखिक रूप से कहा, ‘मैं अंतरिम राहत आवेदन (IA) पर विस्तृत आदेश पारित करूंगी और निषेधाज्ञा दी जाएगी।’ साथ ही अदालत ने निम्नलिखित निर्देश दिए कि गूगल, मेटा और एक्स (पूर्व में ट्विटर) को निर्देश दिया कि वे उल्लंघनकर्ता खातों के आईटी लॉग्स और मूल ग्राहक विवरण प्रदान करें।
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
गिफी, पिंटरेस्ट सहित अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स (प्रतिवादी संख्या 2-5 और 7-10) को समन जारी किया गया। रेडबबल (प्रतिवादी 11) के वकील ने अदालत को बताया कि वे एक सप्ताह के भीतर उल्लंघनकारी सामग्री हटाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। प्रतिवादी 11-16 को इस समय समन नहीं जारी किए गए हैं, लेकिन अगली सुनवाई में इन पर विचार किया जाएगा। पिछली सुनवाई में अदालत ने करण जौहर से उन सोशल मीडिया पोस्ट्स या URLs की स्पष्ट सूची मांगी थी, जिनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। अदालत ने यह भी कहा था कि सामग्री किस श्रेणी की है – जैसे कि अपमानजनक, अश्लील या भ्रामक – यह भी स्पष्ट किया जाए।
ऐश्वर्या और अभिषेक बच्चन के मामले उल्लेखनीय है कि हाल ही में उच्च न्यायालय ने अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिनेता अभिषेक बच्चन के मामलों में भी उनके व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए आदेश पारित किए थे। अदालत ने एआई जैसे तकनीकी साधनों के माध्यम से उनके नाम, छवि और आवाज़ के अनधिकृत उपयोग को निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया।

