हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट करने के आरोप में अभियुक्त बनाई गईं, लखनऊ विश्वविद्यालय की भाषा विज्ञान की सहायक प्रोफेसर माद्री काकोटी की अंतरिम अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है। कोर्ट ने मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए राज्य सरकार को समय देते हुए अगली सुनवाई के लिए 25 अगस्त की तिथि नियत की है।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह की ग्रीष्मावकाश कालीन एकल पीठ ने सोमवार को यह आदेश प्रो. काकोटी की अर्जी पर दिया। प्रो. माद्री काकोटी के अधिवक्ता ने अंतरिम अग्रिम जमानत मिलने की पुष्टि की। बताया कि प्रो. काकोटी ओर से दलील दी गई थी कि उनका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है। न ही उन्होंने कभी किसी धरना-प्रदर्शन आदि में भाग लिया है।
सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखने के बाद उनके खिलाफ देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डालने का आरोप लगाते हुए एबीवीपी के महानगर सहमंत्री मनमोहन शुक्ला ने 28 अप्रैल को एफआईआर दर्ज करायी। पुलिस ने इस एफआईआर में अन्य धाराओं के साथ-साथ बीएनएस की धारा 152 भी लगा दी, जिसके तहत आजीवन कारावास तक की सजा है। दलील में कहा गया कि उन्होंने अपनी पोस्ट में सिर्फ इतना ही कहा था कि धर्म पूछ के गोली मारना आतंकवाद है, धर्म पूछ कर लिचिंग करना और नौकरी से निकालना भी आतंकवाद है।