मड़ई मस्जिद विवाद: VHP और बजरंग दल का आंदोलन स्थगित, प्रशासन करेगा जांच

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मड़ई मस्जिद विवाद: VHP और बजरंग दल का आंदोलन स्थगित, प्रशासन करेगा जांच

मड़ई मस्जिद विवाद मध्य प्रदेश के जबलपुर के मड़ई स्थित विवादित मस्जिद मामले में विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने अपने चरणबद्ध आंदोलन को निरस्त कर दिया है। यह निर्णय वरिष्ठ अधिकारियों और प्रशासन द्वारा जांच कमेटी गठित कर मामले की जांच का आश्वासन दिए जाने के बाद लिया गया है।

कलेक्टर को हटाने की मांग दरअसल, बीते दोपहर विहिप और बजरंग दल ने प्रशासन पर गलत रिपोर्ट पेश करने का आरोप लगाते हुए कलेक्टर को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। इसी के चलते 16 जुलाई को जबलपुर बंद का आह्वान भी किया गया था।

क्या है मस्जिद विवाद? हालांकि, परिषद के वरिष्ठजनों और शासन-प्रशासन के बीच हुई बातचीत के बाद सभी आंदोलन स्थगित कर दिए गए हैं। इस पूरे विवाद की जड़ में विहिप और बजरंग दल का यह आरोप है कि मस्जिद का निर्माण बाल गायत्री मंदिर की भूमि पर किया जा रहा है।

पुणे पोर्श मामला

एक अन्य खबर में, किशोर न्याय बोर्ड ने मंगलवार को कहा कि पुणे में पिछले साल नशे की हालत में पोर्श कार चलाने और दो लोगों को कुचलने के आरोपी 17 वर्षीय लड़के पर किशोर की तरह ही मुकदमा चलाया जाएगा। इस घटना ने देशभर में सुर्खियां बटोरी थीं। पिछले साल 19 मई को कल्याणी नगर में हुई इस घटना में मोटरसाइकिल पर सवार आईटी पेशेवर अनीश अवधिया और उसकी दोस्त अश्विनी कोस्टा की मौत हो गई थी। पुणे पुलिस ने पिछले साल यह कहते हुए आरोपी पर एक वयस्क की तरह मुकदमा चलाने का अनुरोध किया था कि उसने एक ‘‘जघन्य’’ कृत्य किया है। उस पर न केवल दो लोगों की हत्या बल्कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के भी आरोप हैं।

बचाव पक्ष के वकील के अनुसार, मंगलवार को किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की पुलिस की याचिका खारिज कर दी। पिछले साल 19 मई को हुई दुर्घटना के कुछ घंटों बाद ही आरोपी किशोर को जमानत मिल गई थी। आरोपी किशोर को सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने के लिए कहने सहित जमानत की शर्तों में नरमी को लेकर देश में एक विवाद खड़ा हो गया था, जिसके तीन दिन बाद आरोपी को पुणे शहर के एक सुधार गृह में भेज दिया गया था। बंबई उच्च न्यायालय ने 25 जून 2024 को आरोपी को तुरंत रिहा करने का निर्देश देते हुए कहा था कि किशोर न्याय बोर्ड द्वारा उसे सुधार गृह भेजने के आदेश अवैध थे और किशोरों से संबंधित कानून का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए।

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