मथुरा में लगातार बढ़ते जलस्तर से यमुना किनारे बसे गांवों में दहशत का माहौल है और किसानों की धड़कनें तेज हो गई हैं। हालांकि प्रशासन अलर्ट मोड पर है और जिलेभर में 34 बाढ़ चौकियां बनाईं गई हैं। वहीं प्रभावितों के लिए 19 स्थानों पर राहत शिविर के लिए भी जगह चिह्नित कर ली गई हैं। बीत दिनों ताजेवाला बांध, ओखला बैराज से करीब 20 हजार क्यूसेक पानी यमुना नदी में छोड़ा गया। ऊपर से पानी छोड़ने के बाद गोकुल बैराज से भी 15 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। यमुना के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित क्षेत्रों में मथुरा-वृंदावन, छाता, नौहझील, महावन, बलदेव और सुरीर समेत अन्य क्षेत्र आते हैं। इन क्षेत्रों के दर्जनों गांव व काॅलोनियां यमुना के किनारे स्थित हैं, जहां बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।
इधर, आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। अगर बाढ़ आती है तो उससे निपटने के लिए जिलेभर में 34 बाढ़ चौकियां बनाईं गई हैं। खतरे के निशान पर यमुना का जलस्तर पहुंचते ही प्रभावित गांव से लोगों को इन्हीं स्थानों पर ले जाया जाएगा। वहीं अधिकारियों का कहना है कि मानसून से पूर्व ही सभी इंतजाम कर लिए गए हैं। बचाव-राहत दल की तैनाती की जा रही है। बाढ़ से बचाव के संसाधन आदि भी जुटा लिए गए हैं। यमुना का जलस्तर बढ़ा है मगर, बाढ़ जैसी फिलहाल कोई स्थिति नहीं है।
राहत शिविर के लिए ये 19 स्थान चिह्नित
बाढ़ से सबसे प्रभावित होने वाले लोगों के लिए 19 स्थानों को चिह्नित किया गया है। इसमें मथुरा-वृंदावन तहसील में नौ, मांट में छह, छाता में दो और गोवर्धन तहसील में भी दो स्थानों पर राहत शिविर लगाए जाएंगे।
बाढ़ आई तो ये गांव होंगे प्रभावित
बाढ़ आने पर जिले के कई गांव प्रभावित हो सकते हैं। इनमें धौरेरा, अहिल्यांग, जयसिंहपुरा, मथुरा बांगर, मथुरा खादर, माधौपुर खादर, दामोदरपुरा, औरंगाबाद, रौंची कोयला अलीपुर, करनावल, आमला सुल्तानपुर, गढ़ाया लतीफपुर, गौरा नगर कॉलोनी, वृंदावन खादर, राजपुर, खादर समेत अन्य गांव हैं। वहीं छाता तहसील में बाबूगढ़ और चमरगढ़ी गांव हैं। गोवर्धन तहसील में हाथिया, रॉकौली, ऊंचा गांव, बरसाना, चिकसौली, डाहरौली और रूपनगर गांव है। इसके अलावा मांट व महावन तहसील के भी दर्जनों गांव शामिल हैं।
इन क्षेत्रों में बनीं बाढ़ चौकियां
तहसील-बाढ़ चौकियां
मथुरा-वृंदावन- 09
छाता-11
मांट-07
महावन-05
गोवर्धन-02