रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर भाई-बहन एक दूसरे को कीमती उपहार देते हैं, लेकिन कुछ बहन-भाई ऐसे भी हैं जिन्होंने किडनी देकर एक-दूसरे की जिंदगी तक बचाई है। खून के रिश्ते को और मजबूत करते हुए एक बड़ी बहन ने छोटे को बचाया तो दूसरी ओर छोटे भाई ने बड़ी बहन के जीवन को बचाने के लिए किडनी दे दी। वहीं, कुछ भाई-बहन ऐसे हैं जो मजहब की बंदिशों से दूर होकर त्योहार मनाते हैं।
बड़ी बहन से बचाया जीवन
बागपत निवासी अधिवक्ता अनुज भारद्वाज ने बताया कि उनकी दोनों किडनी फेल हो गई थी। जीवन बचाने के लिए किडनी की आवश्यकता थी। पिता की किडनी मैच हुई। वह बहुत बुजुर्ग थे, इसलिए उनकी नहीं ली जा सकी। ऐसे में उनकी बड़ी बहन कंकरखेड़ा सुभाषपुरी निवासी मीरा शर्मा किडनी देने के लिए तैयार हो गई। उन्होंने ऐसा करने से मना किया, लेकिन बहन नहीं मानी। बहन ने वर्ष 2016 में उन्हें किडनी दी। अनुज ने बताया कि बड़ी बहन ने हमें बचपन से ही दूसरों की मदद करने की सीख दी। आज भी बड़ी बहन का उनपर आशीर्वाद है।
छोटे भाई ने बहन को दी नई जिंदगी
अमरोहा निवासी पारुल अग्रवाल ने बताया कि उनकी किडनी फेल हो गई थी। हर तरफ निराशा की स्थिति थी। मेरठ शास्त्रीनगर निवासी रिश्तेदार सुनील अग्रवाल ने अपने जानकार चिकित्सक के विषय में बताया। लंबा इलाज चला। कई जांच हुई। लंबे उपचार के बाद चिकित्सकों ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय है। पारुल ने बताया कि उनके छोटे भाई अंकित अग्रवाल ने कहा कि वह अपनी बड़ी बहन को किडनी देगा। 2020 में ट्रांसप्लांट हुआ। बकाैल पारुल आज अपने भाई की वजह से अपनी दोनों बेटियों की जिम्मेदारी निभा पा रही हैं। भाई ने राखी का कर्तव्य निभाया।
इमरान ने गीता को बांधी राखी
मोहम्मद इमरान को गीता ने शुक्रवार को राखी बांधी। मोहम्मद इमरान ने बताया कि पिछले 17 साल से पटेल नगर से शुरू हुआ यह अनूठा रिश्ता आज भी कायम है। गीता उनकी मुंहबोली बहन है। वह उससे हर साल राखी बंधवाते हैं। उन्होंने कहा कि हर त्योहार आपसी सौहार्द का संदेश देता है।
कल्पना बांधती हैं आबिद को राखी
सारथी संस्था की अध्यक्ष कल्पना पांडेय पिछले आठ साल से रशीद नगर लिसाड़ी गेट निवासी मोहम्मद आबिद को राखी बांध रहीं हैं।