नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में एक नाबालिग लड़की ने याचिका दाखिल कर अपनी शादी को रद्द करने की मांग की है। इस याचिका में 16 साल की लड़की ने अपने पति पर विवाह के लिए दबाव डालने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ भी निर्देश देने की मांग की है। उसकी याचिका में आरोप लगाया गया कि उसकी इच्छा के विरुद्ध नौ दिसंबर 2024 को शादी कर दी गई, जब उस समय वह साढ़े सोलह वर्ष की थी। लड़की ने दावा किया कि वह आगे पढ़ना चाहती थी लेकिन उसके ससुर ने उसे कैद में रखा हुआ था। जबकि उन्होंने उसे उसके माता-पिता के पास लौटने की इजाजत देने का वादा किया था।
परिवार ने जबरन कराया था बाल विवाह
याचिका के मुताबिक, इस लड़की की इच्छा अपनी शिक्षा जारी रखने की थी, लेकिन जबरदस्ती इसका बाल विवाह करा दिया गया और इस विवाह को बनाए रखने का विरोध करने की वजह से उसकी जान को खतरा है। नाबालिग ने दावा किया कि वह फिलहाल अपने एक दोस्त के साथ फरार है और उसे डर है कि अगर वे बिहार लौटेंगे तो उन्हें मार दिया जाएगा।
लड़की के माता-पिता आरोपी से लिए हैं कर्ज
लड़की ने बताया कि उसके माता-पिता ने छह महीने पहले जबरदस्ती उसकी शादी 32-33 साल के एक व्यक्ति से करा दी थी और शादी के तुरंत बाद उसे विदा कर दिया गया था, जबकि उसकी दसवीं की बोर्ड परीक्षाएं नजदीक थीं। याचिका में कहा गया है कि उसके ससुराल वालों ने दावा किया कि उन्होंने शादी के लिए बहुत पैसा दिया और खर्च किया और बार-बार उससे कहा कि वे एक बच्चा चाहते हैं। याचिका में कहा गया है कि उसके पति जो एक सिविल ठेकेदार हैं, ने दावा किया कि याचिकाकर्ता के माता-पिता उसके कर्जदार हैं और उसे शिक्षिका या वकील बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए आगे की पढ़ाई करने के बजाय विवाह जारी रखना होगा।
ससुराल वालों के खिलाफ केस चलाने की मांग
इसलिए, लड़की ने अपनी शादी को रद्द करने और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत अपने ससुराल वालों और पति के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश मांगे। उन्होंने अधिकारियों को अपनी और अपनी दोस्त की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने की भी मांग की।