प्रदर्शन के बीच नेपाल में सुशीला कार्की की अगुवाई में कैबिनेट का विस्तार हो गया है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने तीन बड़े नेताओं को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। सुशीला कार्की कैबिनेट में जिन तीन बड़े चेहरों को शामिल किया गया उसमें रामेश्वर खनाल.. ओमप्रकाश आर्यल और कुलमान घीसिंग शामिल हैं।
ओम प्रकाश आर्यल सुप्रीम कोर्ट के जानेमाने वकील हैं। सुशीला कार्की के भरोसेमंद हैं और उन्होंने पिछली सरकारों के खिलाफ 50 से ज्यादा पिटीशन दायर की हुई हैं।
अंतरिम सरकार के नवनियुक्त गृह मंत्री ओमप्रकाश आर्यल ने 3 फैसले लिए हैं- राष्ट्रीय शोक, नेपाल का झंडा आधा झुका रहेगा मृतकों के परिवार को 1 लाख रुपये कर व्यय के रूप में दिए जाएंगे। शव को घर तक पहुंचाने के लिए मुफ़्त वाहन, दुर्गम स्थानों पर हेलीकॉप्टर से भेजा जाएगा। सुशीला कार्की ने कौन से चौंकाने वाले फैसले लिए? वहीं, आपको सुशीला कार्की ने अपने कैबिनेट का छोटा सा विस्तार तो कर दिया है लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती नेपाल में GEN-Z की डिमांड को पूरा करना है। अब तक उन्होंने जो फैसले लिए हैं उनमें जेन जी का पूरा असर दिखाई दे रहा है।
सुशीला कार्की ने जो पहला फैसला लिया है उसमें GEN Z आंदोलन में मारे गए युवाओं को शहीद का दर्जा देना शामिल है। दूसरा फैसला- शहीद परिवारों को 10-10 लाख की आर्थिक मदद का ऐलान। तीसरा फैसला- हिंसा, हत्या, आगजनी, लूटपाट की न्यायिक जांच कराने का आदेश। चौथा फैसला- सभी घायलों के मुफ्त इलाज का ऐलान शामिल है। ‘हिंसक प्रदर्शन की कराई जाएगी जांच’ लेकिन इसके साथ ही प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने जेन जी को बड़ा झटका भी दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि नेपाल में हुए हिंसक प्रदर्शन की जांच कराई जाएगी। तोड़फोड़ की घटनाओं में शामिल लोगों की जांच होगी। सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों को छोड़ेंगे नहीं।
नेपाल को करीब 25 अरब का नुकसान
जेन जी आंदोलन में नेपाल के राष्ट्रपति भवन, संसद, प्रधानमंत्री आवास, सिंह दरबार समेत सैकड़ों सरकारी और निजी इमारतें जला दी गई हैं। आगजनी से नेपाल में करीब 1000 इमारतें ऐसी हैं जो अब दफ्तर चलाने और रहने लायक नहीं बची हैं। 300 से ज्यादा इमारतें पूरी तरह से जल चुकी हैं। जेन जी आंदोलन के दौरान हुई आगजनी, तोड़फोड़ से नेपाल करीब 50 साल पीछे चला गया है। नेपाल को करीब 25 अरब का नुकसान होने का अनुमान है।
जाहिर है नया नेपाल बनाने में सुशीला कार्की की राह आसान नहीं है। एक ओर जहां जेन जी कैबिनेट में अपने लोगों को शामिल करना चाहता है तो दूसरी ओर कार्की के सामने नया नेपाल खड़ा करना बड़ी चुनौती है।

