नेपाल में जेन जी के आंदोलन के चलते अभी तक हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। इसके चलते लखीमपुर खीरी जिले में भारतीय सीमा पर कड़ी चौकसी है। वहीं नेपाल सीमा से सटे जिले के 42 गांवों में बेचैनी व्याप्त है। क्योंकि इन गांवों के रिश्ते नेपाल में हैं। यहां के लोग फोन पर अपनों का हालचाल ले रहे हैं। नेपाल सीमा से सटे लखीमपुर खीरी जिले के 42 गांवों में इन दिनों बेचैनी है। कोई टीवी पर नेपाल की खबरें देख रहा है, तो कोई फोन पर अपने रिश्तेदारों की खैरियत पूछ रहा है। ये गांव उस सांस्कृतिक रिश्ते की जिंदा मिसाल हैं जिसे वर्षों से रोटी-बेटी का रिश्ता कहा जाता है। करीब 35 किलोमीटर लंबी सीमा पर बसे बनगवां, कजरिया, बनकटी, सरियापारा, सूड़ा, बिरिया जैसे गांवों में थारू जाति के लोग रहते हैं। यहां के हर घर का कोई न कोई रिश्ता नेपाल के सुदूर पश्चिम क्षेत्र के कैलाली, कंचनपुर जैसे जिलों से जुड़ा हुआ है, चाहे वह बेटी का ससुराल हो या रोटी की रोजी-रोटी। सरहद से हालात बताती अजय सक्सेना की रिपोर्ट…
पाल सीमा के गौरीफंटा से। नेपाल में जब-जब आंदोलन हुए, तब-तब भारतीय सड़कों के सन्नाटे ने उसकी गवाही दी है। यूपी से नेपाल जाने वाली सड़कों पर सोमवार से सन्नाटा ही नजर आ रहा है। अगर दिख रहा है तो गौरीफंटा चेकपोस्ट से पहले मालवाहक वाहनों का जमावड़ा। नेपाल के रास्ते कब खुलेंगे, यह तो कोई नहीं जानता। खुल जाएंगे तो भी ये मालवाहक कब आगे बढ़ेंगे, यह भी किसी को नहीं पता।
सरहद का जायजा लेने के लिए हमने बृहस्पतिवार सफर तय किया, तो यह पूरी तस्वीर सामने आई। आगे जाना तो संभव ही नहीं था। भारत की सीमा गौरीफंटा तक ही है। यहां की चेकपोस्ट से होते हुए ही नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रांत के साथ काठमांडो को भी भारतीय सामान जाता है। सुदूर पश्चिम प्रांत की ही राजधानी धनगढ़ी है, यह नाम लाखों भारतीय से परिचित है।
गौरीफंटा 500 कदम दूरी पर फूंकी नेपाल की चौकी
इस रास्ते पर गौरीफंटा चेकपोस्ट से 500 कदम की दूरी पर भंसार में नेपाल की कस्टम चौकी मंगलवार को फूंक दी गई। चौकी के चीफ के घर में तोड़फोड़ की गई। माना जा रहा है कि जब यह चौकी फिर से स्थापित होगी तो ही ये मालवाहक वाहन आगे बढ़ पाएंगे। यह वे वाहन हैं जो सोमवार और मंगलवार को वहां जाकर फंस गए। खबर मिलने के बाद से तो अब भारत से ऐसे वाहन जा ही नहीं रहे हैं। सवारी गाड़ियां भी लगभग बंद सी हैं।
आम दिनों में दो वाहनों का एक साथ गुजरना नामुमकिन
गौरीफंटा जाते वक्त दुधवा पार्क बैरियर से डिगनिया तक 19 किलोमीटर का सफर आमदिनों में काफी मुश्किल भरा रहता है। महज तीन मीटर चौड़ी इस सड़क से दो बड़े वाहनों का गुजरना नामुमकिन होता है। एक बड़े वाहन को सड़क से उतरकर पटरी पर जाना ही होता है। तब कई बार जाम भी लग जाता है। बृहस्पतिवार को स्थिति उल्टी थी। गौरीफंटा तक सन्नाटा था, दूर-दूर तक सड़क खाली दिख रही थी। जो एकाध वाहन इस सड़क पर आ जा रहे थे, उन्हें फर्राटा भरने का पूरा मौका था। इस सड़क पर इससे पहले मार्च में नेपाल में ‘राजा लाओ-देश बचाओ’ आंदोलन के वक्त भी सन्नाटा दिखा था।

