नई दिल्ली। पिछले महीने गणपति पूजा के लिए प्रधानमंत्री मोदी के घर पर आने के बाद हुए विवाद पर CJI ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। इस विवाद को अनावश्यक और अनुचित करार देते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राजनीति में शीर्ष पदों पर बैठे लोग सामाजिक अवसरों पर न्यायाधीशों के घर पर जाते हैं, लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता इतनी गहरी है कि न्यायिक मामलों पर कभी चर्चा नहीं की जाती।
कभी किसी न्यायिक मामले पर चर्चा नहीं होती
सीजेआई ने कहा कि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों (सीजे) और उनके बच्चों की शादी या दूसरे त्यौहारों पर कई बड़े राजनीतिक लोग उनसे मिलने उनके घर जाते हैं।
इन अवसरों पर उनकी न्यायाधीशों के साथ बैठक भी होती है, लेकिन मैं एक भी ऐसा अवसर नहीं बता सकता, जब CJI या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कभी भी केंद्र या राज्यों के प्रमुखों के साथ किसी न्यायिक मामले पर चर्चा की हो।
CJI की बड़ी बातें
- CJI चंद्रचूड़ ने कहा, हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपने कर्तव्यों को जानते हैं और राजनीतिक लोग अपने कर्तव्यों को जानते हैं।
- कोई भी न्यायाधीश, खासकर सीजेआई या हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए किसी भी तरह के वास्तविक खतरे को दूर से भी आमंत्रित नहीं कर सकते हैं।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर मुझे एक परंपरा के बारे में पता चला कि शपथ लेने के बाद मुख्य न्यायाधीश सीएम से मिलते हैं और न्यायपालिका के सामने आने वाले बुनियादी ढांचे के मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
- सीएम के साथ दूसरी बैठक हमेशा मुख्य न्यायाधीश के आवास पर होती है।
CJI ने और क्या कहा?
CJI ने आगे कहा कि हां कुछ मामलों पर वैसे ही विचारों का आदान-प्रदान हो सकता है, लेकिन किसी केस पर चर्चा नहीं की जाती है। उन्होंने कहा कि संविधानिक अदालतों के न्यायाधीशों और राजनीतिक प्रमुखों के बीच इतनी परिपक्वता है कि वे न्यायिक मामलों को किसी भी चर्चा के दायरे से बाहर रखते हैं।