भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष में जब भी डर लगा तो उन्होंने हनुमान चालीसा पढ़ ली। इसके बाद मन से डर निकल गया। 20 दिन अंतरिक्ष में गुजारना एक अद्भुत, अविलक्षण, अकल्पनीय, अतुलनीय रहा, जिसे जीवन में कभी नहीं भूल सकते। जल्द ही गगनयान मिशन के तहत भारत का स्पेस कैप्सूल आएगा।
ग्रुप कैप्टन शुभांशु ने बताया कि भारत ने पहली बार अंतरिक्ष में अपने सात महत्वपूर्ण शोध कार्य पूरे किए हैं। इनके परिणाम जल्द ही प्रकाशित होंगे। यह भारत की स्पेस साइंस में बड़ी उपलब्धि है। 30 नवंबर को संत फिदेलिस स्कूल के वार्षिकोत्सव में पहुंचे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपनी मुस्कान और सहज व्यक्तित्व से विद्यार्थियों दिल जीत लिया। इसके बाद विद्यार्थियों ने उनसे कई सवाल भी किए। हर सवाल के बाद वो मुस्कराते और उसका जवाब भी देते। जवाब सुनकर विद्यार्थियों के चेहरे खिल जाते और खुद पर गर्व महसूस करने लगते। अंतरिक्ष यात्री से भविष्य के यात्रियों ने उनकी अंतरिक्ष यात्रा को लेकर बेवाकी से सवाल भ किए। पेश हैं उनके मुख्य अंश…
क्या स्पेस में डर लगता है?
हां… अंतरिक्ष में डर लगता है, लेकिन जब-जब डर लगा, तब-तब मैंने हनुमान चालीसा पढ़ी।
स्पेस में कैसे रहते हैं ?
देखिएख् स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। स्पेस में मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रहना पड़ता है, तभी अंतरिक्ष की चुनौतियों का सामना कर पाते है।
खाने से वजन बढ़ता है ?
नहीं… नहीं …। अंतरिक्ष में खाने से वजन नहीं बढ़ता है। अंतरिक्ष के लिए अलग तरह का खान-पान होता है।
स्पेस में 20 दिन कैसे रहे?
स्पेस के हर क्षण को मैंने रिकोर्ड किया है। वो 20 दिन मेरी जिंदगी के सबसे यादगार दिन रहेंगे।
अंतरिक्ष में बिताए पल को बताएं ?
देखिए, जो पल मैंने अंतरिक्ष में बिताए हैं, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं। इसलिए वीडियो क्लिप और पीपीटी से अंतरिक्ष में बिताए पलों को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं।
आपको अंतरिक्ष यात्री बनने की प्रेरणा कहां से मिली ?
मेरे प्रेरक भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा रहे हैं। उनका साहस, अनुशासन और देशभक्ति बचपन से मुझे प्रभावित करती आ रही है।

