रांची: झारखंड की राजधानी रांची से करीब 65 किलोमीटर दूर सिल्ली ब्लॉक के मरदु गांव में बुधवार सुबह उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब एक पूरी तरह वयस्क रॉयल बंगाल टाइगर एक किसान के घर में घुस गया। यह घटना पश्चिम बंगाल की सीमा के पास मूरी पुलिस चौकी के तहत हुई, जिसने पूरे इलाके में दहशत फैला दी। गांव के रहने वाले पूरण चंद महतो के घर में सुबह करीब 5 बजे यह बाघ घुसा। उस समय महतो सोकर उठे ही थे और अपने घर का दरवाजा खोला था। दरवाजा खोलते ही बाघ उनके घर में दाखिल हो गया।
‘महतो सुबह दरवाजा खोलकर बाहर निकले थे, तभी…’
रांची के डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) श्रीकांत वर्मा ने बताया, ‘महतो सुबह दरवाजा खोलकर बाहर निकले थे, तभी बाघ अंदर दाखिल हो गया। उन्होंने फौरन बाघ को एक कमरे में बंद कर दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया।’ गांव वालों के मुताबिक, घर में कुछ परिवारवाले मौजूद थे, लेकिन सभी सुरक्षित बाहर निकल आए। घटना की खबर फैलते ही गांव में सैकड़ों लोग जमा हो गए। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) की एक टीम तुरंत मौके पर पहुंची। साथ ही, रांची के भगवान बिरसा बायोलॉजिकल पार्क (बिरसा जू) से भी एक टीम वहां पहुंची, जिसमें एक पशु चिकित्सक, कंपाउंडर और बायोलॉजिस्ट शामिल हैं।
‘बाघ पश्चिम बंगाल के जंगल से आया होगा’
बिरसा जू के असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट्स (ACF) अशोक कुमार सिंह ने कहा, ‘हमारी टीम अपनी विशेषज्ञता के साथ रेस्क्यू में मदद कर रही है।’ रेस्क्यू ऑपरेशन को सुचारू रूप से चलाने के लिए महतो के घर के 200 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। DFO वर्मा ने बताया, ‘हमें शक है कि यह बाघ पश्चिम बंगाल के जंगल से आया है। गांव पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के जंगल के बेहद करीब है।’ उन्होंने यह भी कहा कि बाघ को सुरक्षित पकड़ने और जंगल में वापस छोड़ने की पूरी कोशिश की जा रही है।
भारत में तेजी से बढ़ रही है बाघों की आबादी
गांव वालों में डर फैला हुआ है, लेकिन वन विभाग की त्वरित कार्रवाई ने स्थिति को नियंत्रण में रखा है। रेस्क्यू ऑपरेशन अभी जारी है, और उम्मीद है कि बाघ को बिना किसी नुकसान के जंगल में वापस भेज दिया जाएगा। बता दें कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के 2022 टाइगर सेंसेस के मुताबिक, भारत में बाघों की संख्या 3,682 है, जो 2018 के 2,967 से 24% ज्यादा है। यह वृद्धि प्रोजेक्ट टाइगर, नए टाइगर रिजर्व, और वन्यजीव कॉरिडोर जैसे संरक्षण प्रयासों का नतीजा है।