मरीज से ज्यादा पर्चा जरूरी: उल्टी-दस्त से मासूम परेशान, पर्चे की लाइन में लगे मां-बाप, फिर भी बच न सकी नूर

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मरीज से ज्यादा पर्चा जरूरी: उल्टी-दस्त से मासूम परेशान, पर्चे की लाइन में लगे मां-बाप, फिर भी बच न सकी नूर

नौशाद और उसकी पत्नी फरीन अपनी पांच साल की बेटी नूर फातिमा और बेटे उजैद को लेकर दोपहर में जिला अस्पताल पहुंचे थे। इन दोनों बच्चों को तेज उल्टी और दस्त हो रहे थे। जब यह दोनों को लेकर इमरजेंसी में गए तो वहां चिकित्सक ने कहा कि नूर में अब कुछ नहीं है। अगर आप बीस मिनट पहले आ जाते तो हम उसे बचा लेते। इतना सुनते ही फरीन फूट-फूटकर रोने लगी। चिल्ला-चिल्लाकर कह रही थी कि हमें तो 30 मिनट पर्चा बनवाने के लिए लाइन में खड़े-खड़े में ही बीत गए। कभी ये कागज मांगते तो कभी कुछ। हमने लाख कहा कि हमारी बच्ची की हालत नाजुक है डॉक्टर को दिखवा दीजिए लेकिन किसी ने नहीं सुनी।

अलीगढ़ शहर के हड्डी गोदाम निवासी नौशाद की पांच वर्षीय बेटी नूर फातिमा और दो साल का उजैद उल्टी और दस्त से पीड़ित थे। 12 जुलाई की दोपहर को नौशाद व उसकी पत्नी फरीन दोनों बच्चों को लेकर उपचार कराने जिला अस्पताल पहुंचे। उस वक्त ओपीडी में पर्चा बनवाने वालों की लंबी कतार लगी हुई थी। फरीन काउंटर पर पर्चा बनवाने पहुंची तो कर्मचारी ने लाइन में लगने को कहा। साथ ही उनसे आभा आई-डी बनवाने को कहा। फरीन ने जो बताया उसके मुताबिक: उसे आभा आईडी बारे में कोई जानकारी नहीं है। न ही कोई कागजात हमारे पास थे। पर्चा काउंटर पर कहा गया कि यह आनलाइन प्रक्रिया और जरूरी है। हम बेटी की नाजुक सेहत के बारे में कहते रहे मगर पर्चा बनाने वाले नियम गिनाते रहे। इसमें समय बीतता चला गया।

बेटी को तेज उल्टी होने लगी। यह देखकर लाइन में लगे कुछ लोगों ने फरीन से कहा कि पर्चा छोड़ो और बच्चों को लेकर इमरजेंसी में जाओ। दंपती अपने दोनों बच्चों को गोद में लेकर इमरजेंसी की ओर दौड़े। इसमें करीब 30 मिनट का समय गुजर चुका था। वहां पहुंचते ही चिकित्सक ने बच्चों का परीक्षण कर उपचार शुरू किया। मगर कुछ ही देर में नूर फातिमा ने दम तोड़ दिया। जबकि उसके भाई उजैद की हालत और बिगड़ने लगी। गंभीर हालत होने पर चिकित्सकों ने उसे मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। चिकित्सक ने कहा कि बच्ची को यहां तक लाने में देरी कर दी। मासूम की मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया।

डायरिया से पीड़ित दो मासूमों को अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया था। जिसमें से एक की मौत हो गई। मौत किन कारणों से हुई इसकी जांच कराई जाएगी। इसके लिए टीम गठित की जाएगी।-डॉ. जगवीर सिंह वर्मा, सीएमएस, जिला अस्पताल

डायरिया से पीड़ित बच्चे में नमक-पानी की कमी होती है। ऐसे में सबसे पहले उन्हें भर्ती कर ड्रिप चढ़ाना चाहिए। इससे नमक और पानी की कमी पूरी होगी। अस्पताल में हुई घटना दुर्भाग्य पूर्ण है। अगर बच्चे को उल्टी दस्त हो रहा है तो ओआरएस का घोल नियमित रूप से पिलाते रहें। इससे बच्चे में कमजोरी नहीं आएगी।-डॉ. विभव वार्ष्णेय, बाल रोग विशेषज्ञ

जिला अस्पताल में लाई गई नूर फातिमा के आखिरी पलों में क्या हुआ

  • दोपहर 1 बजे- नूर फातिमा और उसके भाई को परिवार वाले जिला अस्पताल लाए, ओपीडी में पहुंचे
  • दोपहर 1.05 बजे – ओपीडी के कक्ष संख्या 7 में एक स्टाफ कर्मी ने आभा आईडी के बारे में पूछा। जब परिवार वालों ने कहा कि नहीं है तो कहा गया कि पर्चा बनवा लाएं। पर्चे की प्रक्रिया जानी।
  • दोपहर- 1.10 बजे- नूर फातिमा की मां फरीन पर्चे के लिए लाइन में लग गई।
  • दोपहर 1.25 बजे – नूर फातिमा को तेज उल्टी होने लगीं। लाइन में लगी फरीन से लोगों ने कहा पर्चा छोड़ो इमरजेंसी में लेकर पहुंचो।
  • दोपहर 1.30 बजे – फरीन बेटी नूर फातिमा और बेटे उजैद को लेकर इमरजेंसी पहुंची। यहां पर इलाज शुरू हुआ। इलाज शुरू होने के कुछ मिनटों के अंदर ही नूर फातिमा ने दम तोड़ दिया।

जिले में बढ़ रहे डायरिया के मरीज
बारिश के मौसम में डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। मलखान सिंह जिला अस्पताल, पंडित दीनदयाल संयुक्त चिकित्सालय की ओपीडी में रोजाना लगभग 60 डायरिया पीड़ित लोग पहुंच रहे हैं। इन अस्पतालों के डॉक्टर मरीजों और तीमारदारों को दूषित पेयजल और बाहर का खाद्य पदार्थ प्रयोग नहीं करने की सलाह दे रहे हैं। जिला अस्पताल के सीएमएस ने बताया कि बारिश में उमस और गर्मी बढ़ने पर डायरिया का खतरा बढ़ता है।

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