जम्मू। प्रदेश सरकार ने विभाजन के बाद पाकिस्तान के हमले से बचने के लिए आए गुलाम जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों को 9.23 लाख कनाल (लगभग सवा लाख एकड़) जमीन आवंटित की है। साथ ही उन्हें 2421 शहरी भूखंड और क्वार्टर भी प्रदान किए गए हैं।
यह जानकारी मंगलवार को राज्य विधानसभा में भाजपा विधायक राजीव जसरोटिया के एक प्रश्न के लिखित जवाब में राहत एवं पुनर्वास विभाग की तरफ से उपलब्ध कराई गई है।
1947 पाकिस्तानी सेना ने खेला था खूनी खेल
यहां बता दें कि वर्ष 1947 में पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए खूनी खेल खेला था और कबाइलियों के वेष में घुसपैठ कर व्यापक लूटपाट की थी। ऐसे में 26319 परिवारों को विस्थापन झेलना पड़ा था और हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी थी।
उसके बाद यह परिवार जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग शहरों में आकर बसे थे।विभाग के अनुसार 1947 के विस्थापितों को 1954 में भूमि, प्लॉट और क्वार्टर आवंटित किए गए थे और 1965 में उन्हें राज्य की भूमि पर मालिकाना हक प्रदान किया गया था। वर्ष 1947 के विस्थापितों को 6,80,850 कनाल खाली भूमि और 2,43,000 कनाल राज्य भूमि आवंटित की गई।
छह कालोनियों में आवंटित किए गए प्लॉट
इन परिवारों को जम्मू, ऊधमपुर व श्रीनगर की छह कालोनियों में 793 शहरी प्लॉट आवंटित किए गए थे। इसके अलावा जम्मू, ऊधमपुर, राजौरी व नौशहरा में 1,628 क्वार्टर आवंटित किए गए थे। 1965 में राज्य की भूमि पर मालिकाना अधिकार निहित किए गए थे।
शहरी भूखंडों और क्वार्टरों पर मालिकाना अधिकार उन्हें 1971 में प्रदान कर दिया गया था। इसके अलाव स्लम सुधार योजना के तहत विस्थापितों की 46 ग्रामीण बस्तियों को नियमित किया गया।
इसी तरह, सरकार ने 1965 और 1971 के छंब के विस्थापितों के लिए 1954 के आवंटन आदेश को भी लागू किया और छंब के विस्थापित परिवारों को दो लाख कनाल (लगभग 25 हजार एकड़) भूमि आवंटित की गई।
इन विस्थापितों में से आठ हजार परिवारों को निर्धारित पैमाने से कम जमीन आवंटित की गई और उस पर केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में एक पैकेज मंजूर किया था। ऐसे परिवारों को पांच हजार रुपये प्रति कनाल (अधिकतम 25 हजार रुपये) दिए गए थे।
कितने लोग सीमा पार से आए?
बाद में, वर्ष 2008 में पांच हजार से बढ़ाकर इसे 30 हजार रुपये प्रति कनाल कर दिया गया। शहर में भूखंड न पाने वालों को दो लाख रुपये प्रदान किए गए।
सदन में उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, गुलाम जम्मू-कश्मीर से करीब 31,619 परिवार सीमा पार करके इस तरफ आए और जम्मू संभाग के कठुआ, सांबा, जम्मू, राजौरी और पुंछ जिलों में बस गए।
इन 31,619 परिवारों में से 26,319 परिवार राज्य में ही बस गए और 5,300 परिवारों ने बाद में देश के अन्य हिस्सों में बसने का विकल्प चुना। इनमें से कुछ वापस जम्मू-कश्मीर में ही बाद आकर बसे।
इसी तरह, छंब क्षेत्र के 47 गांवों से 10,065 परिवार सुरक्षित स्थानों पर चले गए और उन्हें जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों की 156 बस्तियों में बसाया गया।