डीवीवीएनएल पर निजीकरण के लिए झूठे आंकड़े पेश करने का आरोप लगाते हुए विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति ने मंगलवार को विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार के समक्ष टोरंट मॉडल पेश किया। बताया कि वर्ष 2023-24 में पॉवर काॅरपोरेशन से 5.55 रुपये प्रति यूनिट की बिजली टोरंट पावर ने 4.36 रुपये प्रति यूनिट में खरीदकर औसतन 7.98 रुपये में बेची है।
समिति ने कहा कि इससे टोरंट पावर को 2023-24 में 800 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ, जबकि पावर कॉरपोरेशन को एक साल में 275 करोड़ रुपये की हानि हुई है। समिति ने अध्यक्ष को बताया कि एक अप्रैल 2010 को शहरी क्षेत्र का निजीकरण कर टोरंट पावर को सौंपा गया। कम दर पर बिजली बेचने से 14 साल में 2434 करोड़ का नुकसान हो चुका है। टोरंट ने निजीकरण के समय निर्धारित सरकारी बकाया 2200 करोड़ रुपये 15 साल बाद भी नहीं लौटाए हैं। किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दी जा रही है।
राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश वर्मा ने कहा कि टोरंट जनता को बेवकूफ बना रही है। टोरंट को 2016-17 तक एग्रीगेट टेक्निकल लॉसेस 15% करना था। उसका ऑडिट होना चाहिए। विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन हो रहा है। गलत एस्टीमेट व मनमानी बिल वसूला जा रहा है। 2020 में जांच रिपोर्ट में टोरंट दोषी पाई गई लेकिन उसकी फाइलें दबा दी गईं। किसान नेता पुष्पेंद्र सिंह ने टोरंट का अनुबंध समाप्त करने की मांग उठाई। आरडब्ल्यूए से जीपी अग्रवाल ने निजी कंपनी पर मनमानी और उपभोक्ताओं की सुनवाई नहीं करने के आरोप लगाए।
घाटे में नहीं, लाभ में काम कर रहा डीवीवीएनएल
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आयोग के अध्यक्ष को बताया कि दक्षिणांचल घाटे में नहीं, लाभ में काम कर रहा है। 2024-25 में डीवीवीएनएल ने 11,546 करोड़ की राजस्व वसूली की। इसके अलावा सरकारी विभागों पर 4,543 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसे शामिल करने से कुल संभावित राजस्व 16,089 करोड़ रुपये बनता है। इसके अलावा विभिन्न श्रेणियों में उपभोक्ताओं को 4,692 करोड़ रुपये की टैरिफ सब्सिडी, 99 करोड़ रुपये की नलकूप सब्सिडी, 23 करोड़ रुपये बुनकर श्रेणी में कुल 5706 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की गई। राजस्व में सब्सिडी को जोड़ा जाए तो 21,795 करोड़ रुपये आय हो जाती। आयोग को डीवीवीएनएल ने कुल व्यय 19,639 करोड़ रुपये बताया है। इस प्रकार डीवीवीएनएल को 2,156 करोड़ रुपये का लाभ है।