अलीगढ़ के एडीएम कंपाउंड के पास वीवीआईपी इलाके में बिल्डर को ताबड़तोड़ गोलियां मारीं गई हैं। छह साल बाद फिर सनसनीखेज वारदात हुई है। एक बार फिर सुरक्षा पर सवाल उठे हैं।
अलीगढ़ के वीवीआईपी क्षेत्र कहे जाने वाले एडीएम कंपाउंड के आसपास की सुरक्षा पर छह वर्ष बाद फिर सवाल खड़ा हुआ है। सोमवार को लाडले बिल्डर पर हुए हमले की तरह वर्ष 2019 में एमबीए छात्र को भी इसी तरह गोली मारकर बाइक सवार शूटर एएमयू परिसर में जा घुसे थे। इस वारदात में भी बुलट सवार शूटर एएमयू में जा घुसे। हालांकि चंद घंटों के प्रयास के बाद पुलिस ने दोनों को दबोच लिया।
सिविल लाइंस का यह इलाका बेहद वीवीआईपी व पॉश माना जाता है। एएमयू सर्किल को मेडिकल रोड से जोड़ने वाले इस इलाके की एक पट्टी पर एएमयू की बाउंड्री है। उसी बीच राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति का आवास है।
वहीं एडीएम कंपाउंड में जिले के सीडीओ सहित कई एडीएम व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के आवास हैं। एएमयू की बाउंड्री खत्म होते ही एएमयू से जुड़े तमाम लोगों की कोठियां हैं। इस इलाके में सबसे पहले तो एएमयू सर्किल पर एएमयू के सुरक्षा बल के अलावा सिविल लाइंस पुलिस रहती है।
इसके बाद कुलपति आवास पर सुरक्षा कर्मी रहते हैं। इसके बाद एडीएम कंपाउंड के द्वार पर भी सुरक्षा रहती है। दिन में पुलिस वाहन भी सक्रिय रहता है। बावजूद इसके इस इलाके में वारदात सुरक्षा पर सवाल खड़ी कर रही है।
सुनते ही दौड़ी पुलिस, ई-रिक्शा से पहुंचाया अस्पताल
दोपहर करीब 1:45 बजे के आसपास हुई इस वारदात की सूचना सबसे पहले किसी राहगीर ने 1:49 बजे एसएचओ सिविल लाइंस राजवीर सिंह परमार को दी। वे थाने में ही थे। सुनते ही मौके पर पहुंच गए। रास्ते से ही उन्होंने मेडिकल चौकी व दोदपुर चौकी प्रभारी के साथ सीओ को खबर दी।
सूचना पर जो जिस हालत में थे, भाग लिए। सबसे पहले पहुंचे एसएचओ व मेडिकल चौकी प्रभारी ने एक टिर्री रुकवाई। उसी में बिल्डर को लिटाकर मेडिकल पहुंचाया। एसएचओ को कहना था कि हालांकि एंबुलेंस के लिए भी सूचना दी गई थी मगर घायल की सांस चल रही थीं। इसलिए देरी किए बिना वहां टिर्री को आता देख उसमें ही भेजना उचित समझा।