इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अब देश में राजशाही का दौर खत्म हो चुका है। लोकतंत्र में जरूरी नहीं कि बड़े बेटे का बड़ा बेटा ही राजा बने। सार्वजनिक हित की किसी भी संस्था में वंशानुगत प्रणाली को मान्यता नहीं दी जा सकती। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने आगरा के आवागढ़ के शाही परिवार के दो बेटों में छिड़ी वर्चस्व की जंग का कानूनी हल निकाल दिया। कोर्ट ने आगरा के राजा बलवंत सिंह कॉलेज और बलवंत एजुकेशनल सोसाइटी के उपाध्यक्ष के पांच वर्ष के कार्यकाल को दो बराबर हिस्सों में दोनों चचेरे भाइयों में बांट दिया।
बशर्ते उन्हें अपनी सदस्यता प्रदर्शित करने के लिए सोसाइटी के खाते में दो-दो लाख रुपये जमा करने होंगे। हालांकि, जब तक प्रबंध समिति का विधिवत गठन नहीं होता, तब तक प्रबंधन का संचालन-निगरानी की जिम्मेदारी सोसाइटी के पदेन अध्यक्ष जिला जज व डीएम आगरा को सौंपी है। शाही परिवार की ओर से राजा आवागढ़ के नाम पर बलवंत सिंह एजुकेशनल सोसाइटी बनाई गई थी। यह सोसाइटी आगरा के राजा बलवंत सिंह कॉलेज समेत कई अन्य नामी शैक्षिक संस्थानों का संचालन करती है। जिला जज सोसाइटी के पदेन अध्यक्ष हैं।

