आगरा पुलिस ने साइबर ठगों के इस जाल को तोड़ दिया, जिससे पैसों को वो आसानी से अपने पास तक पहुंचाते थे। इस पूरे खेल में जनसेवा केंद्र का संचालक मुख्य भूमिका निभा रहा था। जनसेवा केंद्र का संचालक एक मैकेनिकल इंजीनियर है, जो कमीशन के चक्कर में साइबर अपराधी बन बैठा।
डीसीपी सिटी ने बताया कि मामले में खुलासे के लिए साइबर क्राइम थाना के निरीक्षक उत्तम चंद पटेल सहित उनकी टीम को लगाया गया। बिचपुरी मार्ग पर चेकिंग के दाैरान तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इनमें सेक्टर-4, आवास विकास काॅलोनी निवासी अभय वर्मा, नाैबस्ता निवासी कुंदन उर्फ कार्तिक और सेक्टर-8 निवासी प्रियांशु हैं।
अभय वर्मा बोदला में अपना कम्युनिकेशन साइबर कैफे के नाम से जनसेवा केंद्र चलाता है। वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर चुका है। वहीं पर उसकी मुलाकात चार महीने पहले आयुष से हुई थी। उसने गेमिंग एप के नाम पर उसके बैंक खाते, एटीएम कार्ड व क्यूआर कोड की जानकारी ली थी। इसके बदले में दो प्रतिशत कमीशन देने का वादा किया। आयुष का साथी मुकेश है। उन्होंने अभय से खाते की जानकारी ले ली। इन खातों में समय-समय पर साइबर ठगी की रकम आने लगी। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि हर दिन खातों में दो लाख तक आते थे। इस तरह से तकरीबन तीन करोड़ से अधिक की रकम 40 खातों में जमा कराई गई।
कर्मचारियों को भी दिया लालच, मजदूरों से लेते थे खाते
पुलिस की पूछताछ में अभय ने बताया कि साइबर ठगी की रकम से फायदा होने पर अभय के मन में लालच आ गया। उसने एक दिन खाते में आई रकम को देने से इन्कार कर दिया। इस पर आयुष ने उसकी रकम जमा कराने वालों से बात कराई। इस पर वो छह प्रतिशत कमीशन पर सीधे रकम देने लगा। वह रकम खाते में जमा कराने के बाद निकाल लेता था। इसके बाद कैश डिपाॅजिट मशीन में जमा कर देता था। इन खातों से रकम सैकड़ों खातों में पहुंचा दी जाती थी। उसे कमीशन मिल जाता था। अभय के साथ उसके जनसेवा केंद्र में कुंदन उर्फ कार्तिक और प्रियांशु भी काम करते थे। वह उन्हें कमीशन देने लगा। वह मजदूर और ठेल लगाने वालों के खाते लेते थे। रकम जमा होने पर कमीशन देकर निकलवा लेते थे। उन्होंने ही साहिल का खाता लिया था। पुलिस आयुष और मुकेश की तलाश में लगी है।