न कोई प्रोटोकाल, न भीड़ और न कोई व्यवस्था। कोई जान भी नहीं पाया कि प्रदेश सरकार का मंत्री कूड़ा गाड़ी में बैठकर शहर में घूम रहा है। यह कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं था, बल्कि जापान की गेंबा वॉक की तर्ज पर किया जा रहा प्रयोग था। इसके माध्यम से देखा गया कि स्वच्छता अभियान के प्रति लोग कितने जागरूक हैं। यह भी देखा गया कि डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने वाले किस तरह से काम करते हैं।
प्रदेश सरकार के समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने रविवार को जापान की गेंबा वॉक पद्धति के आधार पर शहर की कूड़ा गाड़ी में भ्रमण किया। इस दौरान वह मास्क लगाए रहे, जिससे लोग उन्हें पहचान न सकें। मोहल्लों में जाकर उन्होंने नागरिकों से बात की और कूड़ा उठाने वाले कर्मयोगियों के कार्य व्यवहार की समीक्षा की।
मंत्री बोले- पुलिस की नौकरी में कई बार ऐसा करके देखा है
इसके बाद में उसके वीडियो के साथ अपने अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा किया। मंत्री ने बताया कि जापान में एक मैनेजमेंट प्रक्रिया विकसित की गई है, जिसे गेंबा वॉक कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि ऐसे लोग जो मैनेजमेंट में हैं। फैक्टरी फ्लोर पर जाकर कामगारों के साथ खड़े होते हैं, बातचीत करते हैं और सुधार के रास्ते खोलते हैं। उन्होंने पुलिस की नौकरी में कई बार ऐसा करके देखा है।
गेंबा वॉक की मदद से व्यवस्था को समझा
कई दिनों के प्रशिक्षण की तुलना में दो घंटे में समस्याओं और उनके उपाय का बोध हो गया। इसी उद्देश्य के लिए उन्होंने इत्रनगरी में कूड़ा उठाने वाले कर्मयोगियों के काम को गेंबा वॉक की मदद से गंभीरता और गहराई से समझा। गौतम और विकास के साथ पहचान छिपाकर सुबह की शिफ्ट में मोहल्ले में घूम कर अध्ययन किया, जिससे आनंद की भी अनुभूति हुई।