परिवहन निगम (रोडवेज) के बरेली परिक्षेत्र की नई बसों में पुराने पुर्जे लगाकर उनका दम निकाला जा रहा है। छह माह से 500 बसों की मरम्मत में खेल किया जाता रहा। टायर, इंजन ऑयल, बैटरी आदि के नाम पर फर्जी बिल पास करवाकर करोड़ों रुपये का घपला किया गया है। इस दौरान दागी फर्म से काम लिया जाता रहा। डिपो के वर्कशॉप सहित क्षेत्रीय कार्यशाला में भी प्रशिक्षित मैकेनिक नहीं हैं। ऐसे में गाड़ियां रास्ते में खराब हो रहीं हैं। रोडवेज मुख्यालय और परिवहन मंत्री के संज्ञान लेने के बाद अब टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है।
अगस्त 2023 में पहली बार रोडवेज बसों की मरम्मत में घोटाला सामने आया था। उस समय कार्यदायी संस्था साईं इंटरप्राइजेज को काली सूची में डालने के साथ ही कमल इंटरप्राइजेज व भसीन इंटरप्राइजेज को निलंबित कर दिया गया था। क्षेत्रीय प्रबंधक के कार्यालय सहायक सनी अरोरा और सेवा प्रबंधक के कार्यालय सहायक ललित अग्रवाल को निलंबित कर दिया गया था।
इसके बाद मई 2025 में फिर घोटाला उजागर हुआ। दुर्घटना के बाद थानों में खड़ी बसों की मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया। तब मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लेते हुए सेवा प्रबंधक धनजी राम और बदायूं डिपो के एआरएम अजय सिंह को निलंबित कर दिया था। बरेली डिपो के एआरएम संजीव श्रीवास्तव, रुहेलखंड डिपो के एआरएम अरुण वाजपेयी समेत चार फोरमैन और दो लेखा अधिकारियों को भी चार्जशीट दी गई थी।
दो फर्में… मालिक एक
उसी समय कार्यदायी संस्था के ठेकों को निरस्त कर दिया गया था, लेकिन मई से लेकर अब तक पर्दे के पीछे भसीन इंटरप्राइजेज से ही बसों की मरम्मत कराई जाती रही। कमल इंटरप्राइजेज ने पुर्जों की आपूर्ति जारी रखी। दोनों फर्में एक ही मालिक की बताई जा रहीं हैं। मई 2025 से अब तक 500 बसों की मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये के बिल पास कर भुगतान किए जाने की बात सामने आई है। रुहेलखंड डिपो के सीनियर फोरमैन नवावुद्दीन, समय पाल समेत कई अन्य पर भी आरोप लगे हैं।

