बरेली में धर्मांतरण कराने वाले गिरोह के सरगना अब्दुल मजीद का पैनकार्ड सत्यापन में फर्जी पाया गया है। इससे गिरोह पर कूटरचित दस्तावेज बनाने का आरोप पुष्ट हो गया है। हालांकि, इससे फंडिंग से जुड़ी जांच प्रभावित होगी। इसके लिए पुलिस को अब बैंकों से जानकारी जुटानी होगी।
भुता के गांव फैजनगर के घर में संचालित धर्म परिवर्तन के रैकेट का खुलासा होने के बाद चार आरोपियों अब्दुल मजीद, सलमान, आरिफ और फहीम को जेल भेजा गया था। भुता थाने के इंस्पेक्टर क्राइम इसकी विवेचना कर रहे हैं। पुलिस टीम खुलासे के दौरान बरामद सभी प्रमाणपत्रों का सत्यापन संबंधित विभागों से करा रही है।
पुलिस के मुताबिक अब्दुल मजीद के पैनकार्ड को जांच के लिए आयकर विभाग को भेजा गया तो फर्जी साबित हुआ। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अब्दुल व उसकी पत्नी के पांच खातों में 13 लाख से ज्यादा रकम के लेन-देन में कौन सा पैनकार्ड लगा था? अधिकारियों को आशंका है कि यह पैनकार्ड दिखावे के लिए कागजों में रखा होगा। मजीद का असली पैनकार्ड दूसरा ही होगा।

