सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के शिक्षण सेवा में बने रहने और पदोन्नति के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य बताया है। इससे जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात ऐसे शिक्षकों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है, जो बिना टीईटी पास किए सेवाएं दे रहे हैं। जनपद में करीब 5 से 6 हजार शिक्षक ऐसे हैं, जो शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने से पहले से बिना शिक्षक पात्रता परीक्षा दिये सेवाएं दे रहे हैं। अब कोर्ट के आदेश के बाद इन शिक्षकों को अपनी नौकरी बचाने के लिए दो साल में टीईटी पास करनी होगी।
शिक्षक नेता कीर्तिपाल सिंह ने बताया कि कोर्ट के निर्णय से करीब 5500 के आसपास शिक्षक प्रभावित होंगे। जिन शिक्षकों की सेवा पांच साल की रह गई है, उन्हें दो साल में टीईटी पास करना होगा। उन्होंने बताया कि 25 से 30 साल की नौकरी करने के बाद अब रिटायरमेंट के समय कैसे शिक्षक परीक्षा देंगे। उनकी नौकरी चली जाएगी।
उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कुछ बिंदुओं पर स्थिति साफ नहीं है। जैसे सुप्रीम कोर्ट ने ही अभी कुछ साल पहले एक निर्णय दिया की बीएड वाले प्राइमरी के लिए एलिजिबल नहीं है, ऐसे में इस आदेश के बाद वो टीईटी का फाॅर्म कैसे भर पाएंगे। जिनकी नियुक्ति वर्ष 2000 से पहले हुई है, वो भी परेशान हैं। उस समय इंटर पास करने के बाद बीटीसी का विकल्प था। मगर, अब वो कैसे टीईटी का फॉर्म भरेंगे। ऐसे में इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए विचार करेंगे।