बरेली के भमोरा क्षेत्र में पांच सौ बेरोजगारों व गरीबों को ऋण दिलाने का झांसा देकर फाइनेंस कंपनी के अफसरों ने 20 दिनों में ही 25 लाख रुपये की ठगी कर ली। इसके बाद किराये के भवन में खोले गए दफ्तर को बंदकर भाग गए। दावे के मुताबिक मंगलवार को ग्रामीणों के खातों में ऋण की रकम नहीं आई तो वे कंपनी के दफ्तर पहुंचे। वहां ताला पड़ा मिला और कंपनी के अफसरों के मोबाइल नंबर भी स्विचऑफ मिले। इससे नाराज भीड़ ने थाने पहुंचकर हंगामा किया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
देवचरा निवासी मोमीन ने बताया कि गांव में करीब बीस दिन पहले कुछ अनजान लोग आए थे। ये लोग गांव निवासी नन्हे श्रीवास्तव से मिले थे। उनसे यहां फाइनेंस कंपनी का दफ्तर खोलने के लिए किराये पर कमरा दिलाने का अनुरोध किया था।
नन्हे इन लोगों को उनके पास लेकर आए। इनमें से एक ने खुद को मुरादाबाद निवासी सुरेश जाट और बाकी दो ने राजस्थान निवासी अरविंद यादव व प्रकाश सैनी बताया। मोमीन से भवन लेकर इन्होंने जल्दी ही एक साल का एग्रीमेंट कराने का वादा किया। फिर स्थानीय निवासी रामानंदन, सोनम गुप्ता, कामना गुप्ता, रुचि सिंह, रतन किशोर व ऋषि कुमार को कर्मचारी के रूप में रखकर आकर्षक वेतन और ऋण कराने पर कमीशन देने का वादा किया।
जालसाजों ने ऐसे दिया झांसा
इसके बाद क्षेत्र के गांव बमियाना, मकरंदपुर धाराजीत, बल्लिया, बिछुरइया, सांकपुर, देवचरा, रमपुरा बुजर्ग, बिहारीपुर उर्फ शेखूपुर, दलपतपुर आदि गांव के भोले-भाले ग्रामीणों को 90 हजार से लेकर 1.5 लाख रुपये तक ऋण दिलाने की बात कही। लोगों को बताया गया कि बीमा व फाइल खर्च के लिए 4-5 हजार रुपये देने पड़ेंगे। इस धनराशि के बदले उनको गिफ्ट भी मिलेगा। शुरुआत में 10 से 15 ग्राहकों को सिलाई मशीन, कूलर व मिक्सी जैसे गिफ्ट दिए गए।
भरोसा बढ़ा तो करीब पांच सौ लोगों ने चार से पांच हजार रुपये व कागजात सौंपकर ऋण के लिए आवेदन किया। सभी को बताया गया कि नौ जून की रात उनके खातों में ऋण की रकम आ जाएगी। रात में रकम नहीं आई तो सुबह दस बजे ग्रामीण कंपनी के दफ्तर पहुंचे। वहां पता चला कि रात में एक लोडर वाहन में सारा सामान भरकर कंपनी के लोग बरेली की ओर चले गए हैं।
एसपी दक्षिणी अंशिका वर्मा ने बताया कि ग्रामीणों से ठगी की तहरीर भमोरा थाने में दी गई है। इसकी जांच कराई जा रही है। ग्रामीणों से ठगी करने वालों पर रिपोर्ट दर्ज कर उनकी तलाश की जाएगी। आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
न किराया मिला न वेतन, चार लोगों ने दी तहरीर
शुरू में ग्रामीणों ने मकान मालिक मोमीन को ही घेरना शुरू किया। उनका कहना था कि वह आरोपियों के बारे में जरूर जानते होंगे। हालांकि, मोमीन के पास आरोपियों के मोबाइल नंबरों के अलावा कुछ नहीं निकला। सभी के नंबर भी बंद मिले तो भीड़ के साथ ये लोग भी थाने पहुंचे। वहां मोमीन व तीन कर्मचारियों ने तहरीर दी। कामना गुप्ता ने बताया कि उन्हें पांच जून से काम मिला था। कहा गया था कि 14,500 रुपये हर महीने मिलेंगे। ऑफिस में केवल ऋण की फाइल भरनी है। उन्हें एक भी रुपया नहीं मिला है। कुछ कर्मचारी एक जून से काम कर रहे थे। वहीं मोमीन को भी अच्छा किराया देने का केवल भरोसा ही दिया गया।