ए भाई जरा देख के चलो… यह मशहूर गीत आगरा की सड़कों के लिए चरितार्थ हो रहा है। यहां जरा सी चूक, सड़क हादसे में जिंदगी तक छीन सकती है। ये हम नहीं, वाहनों की टक्कर से टूटे डिवाइडर, उखड़ी लोहे की ग्रिल खुद संकेत दे रही हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के कई मार्ग राहगीरों के लिए सुरक्षित नहीं हैं।
नगर निगम, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और आगरा विकास प्राधिकरण की लापरवाही से सड़कों पर सुरक्षा के इंतजाम ध्वस्त हैं। मेट्रो निर्माण में अनदेखी से एमजी रोड, हाईवे पर गुरुद्वारा, सिकंदरा, आईएसबीटी और अबुल उलाह दरगाह तक कदम-कदम पर खतरा है। कलेक्ट्रेट से पुलिस लाइन, पंचकुइंया होते हुए साकेत कॉलोनी, मारुति एस्टेट, बोदला से मघटई होते हुए शास्त्रीपुरम को जोड़ने वाली एमजी रोड-2 पर भी सड़क सुरक्षा के इंतजाम नहीं। स्ट्रीट लाइटें तक खराब हैं।
बोदला चौराहे पर शाहगंज मार्ग पर जाम और हादसे रोकने के लिए नगर निगम ने डिवाइडर के बजाय लोहे की जालियां लगाईं थी। मोड़ पर साइनेज बोर्ड लगाए। वाहनों की टक्कर से साइनेज बोर्ड टूटे पड़े हैं। मोड़ पर लगे पत्थर भी टूट चुके हैं। यह हाल तब है, जब मारुति एस्टेट से बोदला तक सड़क मॉडल रोड घोषित है।
तीन करोड़ खर्च, काम से अफसर बेखबर
लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड ने 2021-22 में 32 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए थे। 2023-24 और 2024-25 में करीब तीन करोड़ रुपये ब्लैक स्पॉट को ठीक करने के सुरक्षा उपाय पर खर्च हुए। क्या सुरक्षा उपाय हुए। इस संबंध में मुख्य अभियंता एनके यादव का कहना है कि प्रांतीय खंड से रोड सेफ्टी कार्यों की रिपोर्ट तलब की है। जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी का कहना है कि सड़क सुरक्षा उपायों पर हुए खर्च का ऑडिट कराया जाएगा। कार्यों की जांच कराएंगे। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

