आगरा पुलिस और अपराधियों के बीच एक महीने में 20 बार मुठभेड़ हो चुकी हैं। इस दौरान कई बदमाशों के पैर में गोली लगी। घायल हुए बदमाशों में एक की इलाज के दौरान मौत हो गई। एक बदमाश ने मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए सवाल भी खड़े कर दिए। जिस पर कोर्ट ने मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों पर मुकदमे के आदेश भी दिए हैं।
आरोपी को जल्द जमानत न मिले, इसलिए पुलिस करती है मुठभेड़
वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप कुमार शर्मा ने बताया कि लूट, चोरी के आरोपियों व कुख्यात बदमाशों को जल्द जमानत न मिल सके। इसके लिए पुलिस मुठभेड़ करती है। तर्क के आधार पर कोर्ट भी मान लेता है कि जब आरोपी पुलिस पर हमला कर सकते हैं तो आमजन का क्या होगा। इस कारण आरोपियों को जल्द जमानत नहीं मिलती है।
केस-1
2 मई को कारगिल चौराहे पर दिनदहाड़ बालाजी ज्वेलर्स के शोरूम से लूट के दौरान संचालक योगेश चौधरी की गोली मारकर हत्या के आरोपी अमन को पुलिस गिरफ्तार कर माल बरामदगी के लिए ले जा रही थी। तभी आरोपी ने पुलिसकर्मी की पिस्टन छीनकर भागने की कोशिश की। पुलिस की जवाबी फायरिंग में अमन गोली लगने से घायल हो गया। बाद में उसकी मौत हो गई। मामले में जांच चल रही है।
केस-2
21 मई को सेवानिवृत इंजीनियर से टप्पेबाजी करने वाले बदमाशों को न्यू आगरा पुलिस ने पोइया घाट रोड पर रोकने की कोशिश की। आरोपियों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी फायरिंग में तीन बदमाशों के पैर में गोली लगी। तब पुलिस ने घायल महेंद्र, मनोज गोस्वामी, हकीम गोस्वामी और कुलदीप, जगदीश सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
केस-3
31 मई की रात शाहगंज पुलिस से बाइक सवार दो चोरों को रोकने की कोशिश की। उन्होंने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी फायरिंग में विष्णु कश्यप के पैर में गोली लगी। वह घायल हो गया। पुलिस ने घायल विष्णु और विवेक जाटव को गिरफ्तार किया।
केस-4
31 मई की रात रकाबगंज पुलिस की गोमांस तस्कर सनी उर्फ समीर से मुठभेड़ हो गई। पुलिस ने आरोपी को रोकने की कोशिश की तो उसने फायरिंग कर दी। उसके भी पैर में गाली लगी। अदालत में आरोपी ने फर्जी मुठभेड़ बताकर सवाल खड़े कर दिए। कोर्ट ने मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच के आदेश दे दिए।