केंद्रीय राज्य मंत्री और आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल अपने लंबे राजनीतिक अनुभव से नित नई लकीर खींचते रहे हैं। फिरोजाबाद या करहल में सैफई परिवार के दिग्गजों के सामने ताल ठोंकने की बात हो या फिर देश में पिछड़े वर्ग की नुमाइंदगी करने का माद्दा। उन्होंने इस बार धनगर समाज की महारानी लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के सहारे जातीय स्वाभिमान का शंखनाद किया। पिछड़ा वर्ग में गोत्रों में बंटे पाल, बघेल, धनगर को एकजुट कर उन्होंने सियासत की नई पारी का आगाज किया है।
भारतीय जनता पार्टी ने मालवा की महारानी रहीं पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती समारोह को बड़े पैमाने पर मनाने का फैसला लिया। तभी केंद्रीय राज्यमंत्री और भाजपा के पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे प्रो. एसपी सिंह बघेल ने अकेले दम पर समारोह कराने की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने आगरा और लोकसभा क्षेत्र में आने वाले जलेसर तक 35 दिन गांव-गांव भ्रमण करके बघेल, पाल, धनगर समाज के लोगों के घर जाकर पीली चिट्ठी दी और उन्हें समारोह में आने का न्योता दिया।
आग्रह किया कि गड़रिया समाज के स्वाभिमान के लिए आपको समारोह में आकर अपनी शक्ति दिखानी होगी। धनगर समाज को अनुसूचित जाति में लाने के लिए प्रदेश के मुखिया के सामने शक्ति प्रदर्शन करना होगा। तभी प्रमाणपत्र बन सकेंगे। उनकी यह मेहनत रंग लाई। जीआईसी मैदान में लगे पंडाल में समाज के युवा, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चों ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया।
इसके साथ ही उन्होंने अपने समाज के देशभर में फैले जनप्रतिनिधियों को भी आगरा पहुंचने के लिए पीली चिट्ठी भेजी। असर भी नजर आया। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, तेलगूदेशम पार्टी के सांसद वाचस्पति नागराजू, आंध्र प्रदेश से सांसद वीके पार्थसारथी, गोवा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रकांत बाबू कावलेकर और महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष रामशंकर राव शिंदे ने शिरकत कर पाल-बघेल समाज को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास किया। प्रो. बघेल ने शिवसेना, कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड के जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया था। इसे अगले चुनाव में ब्रज क्षेत्र ही नहीं बल्कि देशभर में पाल-बघेल-धनगर समाज के सर्वमान्य नेता बनने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।
मुख्य मंच पर भाजपा नेताओं को नहीं स्थान
जयंती समारोह में बनाए गए तीन मंचों में मुख्य मंच पर उपराष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, हरियाणा के राज्यपाल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र के जनप्रतिनिधियों को ही जगह दी गई। अध्यक्षता समाज के वयोवृद्ध हरि सिंह बघेल ने की। इस तरह बघेल ने साफ संदेश दिया कि यह पूरी तरह सामाजिक कार्यक्रम है। दूसरे मंच पर भाजपा के जनप्रतिनिधि और तीसरे मंच पर समाज के गणमान्य लोगों को स्थान दिया गया।