सर क्रीक को लेकर विवाद भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर उसने सर क्रीक इलाके में कोई हरकत करने की हिम्मत की, तो उसे ऐसा करारा जवाब मिलेगा कि उसके देश का इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएगा। राजनाथ सिंह की यह सख्त टिप्पणी उन खबरों के बाद आई है जिनमें कहा गया है कि पाकिस्तान सर क्रीक के पास अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, “भारत ने बातचीत के ज़रिए इस मुद्दे को सुलझाने के कई प्रयास किए हैं, लेकिन पाकिस्तान की मंशा अभी भी स्पष्ट नहीं है। सर क्रीक के पास उसके सैन्य बुनियादी ढांचे के हालिया विस्तार से उसकी मंशा का साफ पता चलता है।”
जहां भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद चली आ रही है, वहीं इस तनाव के बीच पाकिस्तान सर क्रीक क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है। भारत पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस का अब “निर्णायक जवाब” देने की चेतावनी दे रहा है, ऐसे में गुजरात का एक दलदल से भरा इलाका सर क्रीक एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है।
आखिर क्या है सर क्रीक?
सर क्रीक गुजरात में भारत-पाकिस्तान सीमा पर निर्जन दलदली भूमि में स्थित 96 किलोमीटर लंबा ज्वारीय मुहाना है। यह खाड़ी अरब सागर में बहती है और भारत के गुजरात राज्य को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अलग करती है। सर क्रीक, की 96 किलोमीटर तक फैले इस दलदल में सांप बिच्छू, मछलियां और कई तरह के जलीय जीव पाए जाते हैं। इस भूमि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच एक क्षेत्रीय विवाद है। यह विवाद स्वतंत्रता-पूर्व से चला आ रहा है और समय समय पर दोनों देश इस इलाके को लेकर एक दूसरे पर कब्जाने का आरोप लगाते रहते हैं।
सर क्रीक का विवाद क्या है?
यह विवाद पाकिस्तान और भारत के बीच समुद्री बॉर्डर एरिया को लेकर है। स्वतंत्रता से पहले, यह क्षेत्र ब्रिटिश भारत का हिस्सा था और फिर 1947 में स्वतंत्रता के बाद, सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया, जबकि गुजरात भारत का हिस्सा बना रहा। साल 1968 में, एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने कच्छ के रण सीमा विवाद के अधिकांश हिस्से का निपटारा कर दिया, लेकिन कई दौर की बातचीत के बावजूद सर क्रीक का मामला अनसुलझा रहा। भारत चाहता है कि पहले समुद्री सीमा का सीमांकन हो, जबकि पाकिस्तान का कहना है कि इससे पहले विवाद का निपटारा होना चाहिए।
भारत और पाकिस्तान के अपने अपने तर्क
भारत अपनी स्थिति के समर्थन में 1925 के मानचित्र और मध्य-चैनल स्तंभों का हवाला देता है, जबकि पाकिस्तान का तर्क है कि थालवेग केवल नदियों पर लागू होता है, सर क्रीक जैसे ज्वारीय मुहानाओं पर नहीं। भारत इस मामले में “थलवेग सिद्धांत” लागू करते हुए यह दावा करते हुए कि उसकी सीमा इस पूरे इलाके के मध्य तक है, तो वहीं पाकिस्तान साल 1914 के एक प्रस्ताव की अपनी व्याख्या के आधार पर इस पूरे 96 किलोमीटर तक फैली खाड़ी पर अपना दावा करता है।
सर क्रीक की क्या है कहानी
यह दलदली क्षेत्र इसलिए और अहम है क्योंकि यह क्षेत्र सामरिक, आर्थिक और पारिस्थितिक कारणों से महत्वपूर्ण है, जिसमें संभावित ऊर्जा भंडार, मछली पकड़ने के संसाधन और समुद्री सीमा पर इसका प्रभाव शामिल है। सर क्रीक का सैन्य महत्व तो कम है, लेकिन आर्थिक महत्त्व बहुत ज़्यादा है। माना जाता है कि इस क्षेत्र में तेल और गैस के भंडार हैं, और इस खाड़ी पर नियंत्रण समुद्री सीमाओं, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों (ईईज़ेड) और महाद्वीपीय तटों के सीमांकन को प्रभावित करता है।
यह विवाद स्थानीय मछुआरों को भी प्रभावित करता है, जो अक्सर अनजाने में दूसरे देश के जलक्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं और गिरफ्तार कर लिए जाते हैं। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय कानून न्यूनतम दंड का प्रावधान करता है, फिर भी भारत और पाकिस्तान दोनों ही मछुआरों को लंबे समय तक हिरासत में रखते हैं, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित होती है। वहीं, पाकिस्तान की एलबीओडी, जो खारे और औद्योगिक जल को सर क्रीक में छोड़ती है। भारत इसे सिंधु जल संधि का उल्लंघन मानता है, जिससे पाकिस्तान को विवाद को अनसुलझा रखने में फायदा दिखता है।
भारत को क्यों है सर क्रीक से खतरा
2019 से, पाकिस्तान ने सर क्रीक में अपनी सैन्य उपस्थिति तेज़ी से बढ़ाई है, नई क्रीक बटालियन, तटीय रक्षा नौकाएं और समुद्री आक्रमण को लेकर पाक ने यहां नावें तैनात की हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान इस इलाके में अधिक नौसैनिक जहाज़ों व चौकियों को बनाने की प्लानिंग कर रहा है। उसने इस इलाके में रडार, मिसाइलों और निगरानी विमानों के ज़रिए हवाई सुरक्षा को भी मज़बूत किया है।
भारत ने भी, ख़ास तौर पर 2008 के मुंबई हमलों के बाद, जो इसी क्षेत्र से शुरू हुए थे, सुरक्षा चिंताओं के कारण, इस क्षेत्र में अपनी गति बनाए रखी है और इस इलाके पर पूरी नजर रखता है। बता दें कि साल 2018 में, भारत के सीमा सुरक्षा बल ने संभावित आतंकवादी घुसपैठ की जांच के लिए सर क्रीक क्षेत्र में कई नावें ज़ब्त की थीं। इसके बाद सितंबर 2019 में, सर क्रीक में कई लावारिस नावें मिलीं थीं, जिसके बाद भारत ने संभावित आतंकी खतरे को लेकर अलर्ट भी जारी किया।

