शाहजहांपुर। यूपी के शाहजहांपुर में एक महिला के साथ 1994 में दो भाइयों ने दुष्कर्म किया। महिला उस समय नाबालिग थी और अपने बहन के घर पर रह रही थी। कई सालों तक उसका शारीरिक शोषण होता रहा। इसकी वजह से वह प्रेग्नेंट हो गई और बिन ब्याही मां बनीं।
हालांकि, उसे अपने दुधमुंहे बच्चे को हरदोई निवासी दंपती को गोद देना पड़ा। 10 दस बाद वे बेटे को महिला के पास छोड़ गए। महिला बेटे के साथ मायके में रहने लगी। बेटा बड़ा हुआ तो उसने अपने पिता के बारे में पूछना शुरू किया। महिला को अपना अतीत उसके सामने खोलना पड़ा।
बेटे ने आरोपियों को सजा दिलाने की ठानी। बेटे की जिद के कारण महिला ने 2021 में कोर्ट में याचिका लगाई। तीन साल तक मुकदमे की सुनवाई चली। आखिरकार न्याय का दिन आया। 21 मई, 2024 को कोर्ट ने दोनों दोषियों को 10-10 जेल की सजा सुना दी। दोषी अब जेल की सलाखों के पीछे हैं।
महिला की कहानी बड़ी दर्दनाक है। 1994 में वह पढ़ाई करने के लिए अपनी बहन और बहनोई के घर पर रहने लगी। बहनोई प्राइवेट नौकरी और बहन स्कूल में पढ़ाने चली जाती थी। घर में महिला (तब नाबालिग) अकेली रहती थी।
इसका फायदा उठाकर आरोपी नकी हसन और उसके भाई गुड्डू ने उसका शारीरिक शोषण शुरू कर दिया। कई महीनों तक यह क्रम चलता रहा। फलस्वरूप नाबालिग को बिना शादी मां बनने पर मजबूर होना पड़ा। गर्भ गिराने के लिए डॉक्टर के पास उसे ले जाया गया पर कम उम्र में जान का खतरा बताकर गर्भपात करने से इन्कार कर दिया।
गाजीपुर के युवक से शादी हुई पर हो गया तलाक
घरवालों ने बच्चे को हरदोई के एक दंपती को गोद दे दिया और महिला की वर्ष 2000 में गाजीपुर के युवक से निकाह करवाया। पति को जब महिला के अतीत के बारे में पता चला तो उसने तलाक दे दिया। मजबूरी में महिला मायके में रहने लगी।
हरदोई में रहने वाला बेटा जब बड़ा हुआ तो वह अपनी असली मां से मिलने शाहजहांपुर आ गया। उसने पिता के बारे में पूछताछ शुरू की। मां ने अपनी पूरी सच्चाई बताई जिसके बाद उसने कोर्ट में याचिका लगाने के लिए कहा।