महाराष्ट्र में मॉनसून की दस्तक ने पहले ही सप्ताह में कहर बरपा दिया है। बीते 5 दिनों (24 से 28 मई) की मूसलधार बारिश और आंधी-तूफान के चलते राज्य भर में 21 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 12 अन्य घायल हुए हैं। सबसे अधिक मौतें बिजली गिरने की घटनाओं में हुई हैं, जहां 8 लोग असमय काल का शिकार हो गए। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल नुकसान का पंचनामा कर राहत कार्य शुरू करें।
कैसे और कितने लोगों की हुई मौत
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, मुंबई, पुणे, रायगढ़, सातारा, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग सहित कई जिलों में जोरदार बारिश के साथ तेज हवाएं और गरज-चमक दर्ज की गई। बिजली गिरने से जहां 8 लोगों की मौत हुई, वहीं 5 लोगों की मौत पानी में डूबने से हुई। इसके अलावा पेड़ गिरने की घटनाओं में 4 लोगों की जान गई, जबकि दीवार गिरने से 3 की मौत हुई है। इसके अलावा एक व्यक्ति की जान अन्य कारणों से गई है। बारिश और तूफान के कारण जानवरों को भी नुकसान पहुंचा है। अब तक 22 मवेशियों की मौत की सूचना है। कई नदियों में जलस्तर बढ़ने के कारण बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। राहत कार्यों के दौरान अब तक 45 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जबकि 70 से 80 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है।
सरकार अलर्ट मोड पर, SDRF-NDRF तैनात
राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार विभाग पूरी तरह से सतर्क है और प्रभावित इलाकों में तैनात है। संभावित भूस्खलन क्षेत्रों की पहचान कर ली गई है। मुंबई और पुणे जैसे शहरों में खतरनाक घोषित इमारतों की निगरानी की जा रही है और वहां से लोगों को पहले ही सुरक्षित निकाला गया है। राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीमें राहत कार्यों में जुटी हुई हैं। यदि आवश्यकता पड़ी, तो सेना से भी मदद ली जाएगी। पुनर्वास और मवेशी विभाग के अधिकारी भी स्थिति पर नजर रख रहे हैं। मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि नुकसान का आंकलन कर प्रभावित परिवारों को राहत दी जाए। साथ ही, मौसम विभाग द्वारा आगामी दिनों में भारी बारिश की चेतावनी को देखते हुए सभी जिलों को आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। बता दें कि भारतीय मौसम विभाग ने अगले 3-4 दिनों तक राज्य के कुछ हिस्सों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना जताई है, विशेषकर तटीय कोंकण और पश्चिमी घाट के क्षेत्रों में। इसके मद्देनज़र स्थानीय प्रशासन को हाई अलर्ट पर रखा गया है।