उत्तर प्रदेश से लगते नेपाल बॉर्डर से हो रही सोने की तस्करी को लखनऊ के साथ ही गोरखपुर, वाराणसी में खपाया जा रहा है। लग्जरी बसों और अवैध ट्रेवलर से तस्कर इन्हें तय अड्डों पर पहुंचाकर हर माह करीब 15 से 20 करोड़ की कमाई कर रहे हैं।
जून में बरामद 20 करोड़ के अवैध सोने की खेप की कड़ी मुंबई, आगरा और पंजाब तक भी जुड़ी। यहां की मंडी भी चीन के सोने से चमक रही है। इस पूरे खेल में टैक्स के रूप में सरकार को बड़ी चपत लगाई जा रही है, लेकिन यहां कार्रवाई के नाम पर बस मौन है।
ये देखें तीन मामले
केस एक: मथुरा निवासी प्रमोद से एक किलो सोने की छड़ बरामद हुई थी, जिसे वह सिद्धार्थनगर से लेकर जा रहा था। यह सोना नेपाल से सिद्धार्थनगर पहुंचा था।
केस दो: इसी वर्ष वाराणसी निवासी संजय से बड़ी मात्रा में सोना बरामद हुआ, जिसे वह बहराइच के रुपईडीहा से लेकर जा रहा था।
केस तीन: पश्चिम बंगाल के मेदनीपुर निवासी 30 वर्षीय लालू महीश को डीआरआई ने सोने के साथ बीते वर्ष गिरफ्तार किया था। यह सोना उसे लखनऊ के सराय माली खां चौक पर देना था।
यह तो बस उदाहरण है
डीआरआई ने 10 मई 2025 को मुंबई निवासी हितेश, राजेश कुमार और विजय कुमार के पास से 18 करोड़ रुपये का सोना जब्त किया। तीनों बिहार संपर्क क्रांति ट्रेन से ट्रॉली बैग में कपड़ों के अंदर सोना छिपाकर ले जा रहे थे। यह सोना हांगकांग से नेपाल पहुंचा और फिर वहां से नेपाल होते हुए बिहार लाया गया। मुंबई में इसे पिघलाकर राजस्थान के कोटा में आभूषण तैयार किया जाना था। इसके बाद उसे पंजाब, हिमाचल व लखनऊ के अलग-अलग व्यापारियों को बेचना था।
एक किलो सोने में करीब 14.48 लाख का मुनाफा
– तस्करी के सोने की शुद्धता 99.9 फीसदी होती है। इसकी बाजार में शुद्धता उच्चतम स्तर पर मानी जाती है।
पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह बताते हैं कि काठमांडू और पोखरा सहित नेपाल के विभिन्न शहरों से चलने वाली बसें दूरिस्ट परमिट का दुरुपयोग कर रही हैं। ये बसें सोनौली व रुपईडीहा बॉर्डर से होकर दिल्ली तक नियमित यात्री सेवा चला रही हैं। टूरिस्ट परमिट केवल पर्यटन गतिविधियों के लिए जारी किया जाता है। तस्करी में इनके भी उपयोग की सूचना पूर्व में मिल चुकी है।