बेंगलुरु। कर्नाटक में किसानों की जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताए जाने के मामले पर राज्य में सियासी हंगामा खड़ा हो गया है। भाजपा ने सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
हालांकि, मामले ने जब तूल पकड़ा तो सीएम सिद्धारमैया ने राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिया कि कई जिलों में किसान की जमीन के दस्तावेजों के लिए किसी भी बदलाव को तुरंत वापस लिया जाए।
क्या है मामला?
बता दें कि अक्टूबर महीने में विजयपुरा के किसानों को नोटिस मिली थी। नोटिस में लिखा था कि जमीन रिकॉर्ड के अनुसार वक्फ की संपत्ति है। इसके बाद जब किसानों ने विरोध करना शुरू किया तो सीएम ने राजस्व, अल्पसंख्यक कल्याण, कानूनी विभागों और वक्फ सीईओ के प्रतिनिधियों के साथ शनिवार को एक बैठक की।
बैठक में सीएम ने किसानों को जारी किए गए नोटिस को तुरंत वापस लेने के आदेश दिए। इस मामले पर भाजपा ने कर्नाटक सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सिद्धरमैया सरकार से 1974 वक्फ संपत्ति गजट अधिसूचना को वापस लेने की मांग की है।
भाजपा के मुताबिक, राज्य में पिछले 50 वर्षों में बनाए गए रिकॉर्ड का इस्तेमाल अब अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है। भाजपा विधायक सीएन अश्वथ नारायण ने कहा कि राज्य में किसानों को डर है कि उनकी जमीन छीनी जा सकती है।
मामले पर सीएम सिद्धारमैया ने क्या कहा?
कर्नाटक सीएम ने इस मामले पर सीएम ने सफाई देते हुए कहा,”मैं कर्नाटक के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे इस बात को समझें कि भाजपा की असली मंशा क्या है।
हमारी सरकार द्वारा वक्फ संपत्ति के मुद्दों पर किसानों को जारी किए गए नोटिसों को तत्काल वापस लेने का आदेश दिए जाने के बाद भी, भाजपा नेता अपने विरोध में डटे हुए हैं।
सीएम ने आगे कहा कि उनके इरादे पूरी तरह से राजनीतिक हैं, हमारे किसानों के कल्याण की रक्षा में उनकी कोई वास्तविक रुचि नहीं है।” वक्फ संपत्ति के मामले में हमारी सरकार ने पहले ही निर्देश दिया है कि किसानों को जारी किए गए सभी नोटिस तुरंत रद्द किए जाएं।
बिना उचित सूचना के भूमि अभिलेखों में कोई भी अनधिकृत संशोधन भी रद्द किया जाना चाहिए। मैंने अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया है, ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए जिससे किसानों को असुविधा हो, फिर भी भाजपा नेता विरोध कर रहे हैं।