फिरोजाबाद। उप्र के फिरोजाबाद के पुराना रसूलपुर स्थित मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में 35 वर्ष से बंद जीर्ण-शीर्ण शिव मंदिर का ताला रविवार शाम को हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने तोड़ दिया। इसके बाद वहां दीपक जलाकर हनुमान चालीस का पाठ किया गया।
जानकारी पर पुलिस-प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। देर शाम मंदिर में फिर ताला लगा दिया गया। हिंदू संगठनों के लोग वहां देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित कराएंगे। इस दौरान किसी ने विरोध नहीं किया।
संभल की तरह रसूलपुर क्षेत्र की गली नंबर आठ में जो मंदिर मिला है उसे विक्रम संवत 2020 में घर और एक दुकान के बीच एससी राम दयाल, उनके स्वजन लालाराम, पंचम सिंह और अन्य लोगों ने कराया था।
समय गुजरने के साथ आसपास मुस्लिम आबादी बढ़ी तो 35 वर्ष पहले ये लोग घर और दुकान को पड़ोसी मुहम्मद यासीन को बेच कर रामगढ़ क्षेत्र के सैलई में चले गए। जाने से पहले मंदिर में ताला लगाकर मूर्तियां अपने साथ ले गए। यासीन ने घर और दुकान का उपयोग किया। मंदिर में अब तक ताला बंद रहा।
की थी मंदिर का ताला खुलवाने की मांग
शुक्रवार को हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने थाना रसूलपुर के साथ ही पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को ज्ञापन देकर मंदिर का ताला खुलवाने की मांग की लेकिन प्रशासन सक्रिय नहीं हुआ।
रविवार शाम पांच बजे बजरंग दल के जिला सह संयोजक मोहन बजरंगी, सनातनी कट्टर हिंदू संगठन के अध्यक्ष अंकित राठौर अपने साथियों के साथ हथौड़ा लेकर पहुंचे और ताला तोड़ दिया। मुस्लिम आबादी बाहुल्य गली में स्थित मंदिर के बाहर लोगों की भीड़ एकत्र हो गई।
मंदिर के एक हिस्से में दीवार के सहारे थी मूर्ति
एसपी सिटी रविशंकर प्रसाद, सिटी मजिस्ट्रेट राजेंद्र प्रसाद, सीओ सिटी अरुण चौरसिया, रसूलपुर इंस्पेक्टर अनुज कुमार, एलआइयू इंस्पेक्टर प्रेमपाल फोर्स लेकर पहुंच गए। मंदिर के एक हिस्से में दीवार के सहारे हनुमानजी की मूर्ति थी। वहीं कुछ टाइल्स पर देवी-देवताओं के चित्र छपे थे।
एसएसपी सौरभ दीक्षित ने बताया कि वर्षों पुराने मंदिर का ताला हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने खोला है। किसी ने विरोध नहीं किया। फिर भी क्षेत्र में पुलिस फोर्स तैनात किया गया है।
क्षेत्रीय युवा बोले उन्हें पहले नहीं थी मंदिर की जानकारी
पुराना रसूलपुर स्थित जिस गली में मंदिर है, उसमें दो दर्जन मुस्लिम परिवार रहते हैं। गली के बाहर हिंदुओं के तीन घर हैं। मंदिर खुलवाने वाले कार्यकर्ताओं का कहना कि जल्द ही मूर्तियों की स्थापना कराकर नियमित रूप से पूजा शुरू कराई जाएगी। वहीं मकान और दुकान खरीदने वाले परिवार का कहना है कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसी बहाने मंदिर की साफ-सफाई भी होगी।
नहीं मिली मंदिर की चाबी
परचून की दुकान पर बैठे मिले 25 वर्षीय मुहम्मद यासीन ने बताया कि उनके पिता मुहम्मद यामीन ने दुकान कब खरीदी थी, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। हिंदू संगठन के कार्यकर्ता मंदिर खाेलने आए तो वह और उसके स्वजन ने चाबी ढूंढने का प्रयास किया, लेकिन नहीं मिली। उनके घर और मंदिर का रास्ता अलग-अलग है। वहीं आसपास के लोगों का कहना था कि उन्हें यहां मंदिर होने की जानकारी नहीं थी।
ताला तोड़ने वालों में शामिल
अंकित राठौर निवासी पुराना रसूलपुर गली नंबर सात ने बताया कि एक वर्ष पहले उसकी मां मुन्नी देवी ने इस मंदिर के बारे में बताया था, लेकिन तब मंदिर खुलवाने की हिम्मत नहीं हुई। इधर राष्ट्रीय युवा वाहिनी गो प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हृदेश शर्मा ने बताया कि वह भी मौके पर पदाधिकारियों के साथ पहुंचे थे।
उन्होंने लोगों से नियमित रूप से पूजा अर्चना और मंदिर की देखभाल करने की अपील की है। उनके साथ हिमांशु गर्ग, राजेश चक, राहुल गर्ग, अनिल राठौर, तालिब कुरैशी, श्याम गुप्ता, विपिन शर्मा, भोला आदि उपस्थित थे।
वाल्मीकि समाज का युवक करता था सफाई
क्षेत्र में चर्चा थी कि पहले गली नंबर आठ में हिंदू परिवार रहते थे, लेकिन जैसे-जैसे मुस्लिम आबादी बढ़ती गई। धीरे-धीरे सभी परिवार पलायन कर गए। मंदिर बनवाने वाले परिवार के जाने के बाद भी वाल्मीकि समाज का एक युवक मंदिर की सफाई करता था।
कोरोना काल में जब लोगों की आवाजाही बंद हुई तब वह बची हुई मूर्तियां अपने साथ ले गया और किसी दूसरे मंदिर में स्थापित करा दीं। रसूलपुर इंस्पेक्टर अनुज कुमार ने बताया कि मूर्तियां दूसरे मंदिर में ले जाने की बात तो सामने आई, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।