नई दिल्ली । दिल्ली में सरकारी और निगम के स्कूलों की स्थिति से नाराज दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली की AAP सरकार को आड़े हाथों लिया। हाई कोर्ट ने माना कि दिल्ली की मौजूदा सरकार की रुचि केवल सत्ता के इस्तेमाल में है।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पी.एस. अरोड़ा की बेंच ने कहा कि वह सोमवार जनहित याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी, जिसमें एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अभी तक नए सेशन की कोर्स बुक नहीं मिलने और बच्चों के टिन शेड में पढ़ाई करने को मजबूर होने का मुद्दा उठाया गया ।
‘घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं’
दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के रुख पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट बोला कि उन्होंने स्टूडेंट की दुर्दशा पर आंखें मूंद ली हैं और घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।
दिल्ली सरकार के वकील शादान फरासत ने बेंच को बताया कि उन्हें संबंधित मंत्री से निर्देश मिले हैं कि एमसीडी की स्थायी समिति की गैरमौजूदगी में उपयुक्त प्राधिकारी को ज्यादा शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की जरूरत होगी, जो अभी हिरासत में हैं।
इस पर कोर्ट बोला कि क्योंकि वह जगह खाली है, इसका मतलब यह नहीं कि स्कूली बच्चों को किताबों के बिना पढ़ने दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अब यह आपकी मर्जी पर है कि मुख्यमंत्री के हिरासत में होने के बावजूद सरकार जारी रहेगी। आप हमें उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं जिस पर हम नहीं जाना चाहते थे।
हमने अपने सामने आई जनहित याचिकाओं में कई बार ऐसा कहा है लेकिन यह आपके प्रशासन का फैसला है… अगर आप चाहते हैं कि हम इस पर टिप्पणी करें, तो हम पूरी सख्ती के साथ ऐसा करेंगे। इन शब्दों के साथ हाई कोर्ट ने चेतावनी दी कि आदेश में सौरभ भारद्वाज का नाम भी डालेंगे।
‘यह सत्ता का सर्वोच्च अहंकार है’
राज्य सरकार के वकील ने दलील दी कि एमसीडी के पास स्थायी समिति नहीं होने का कारण यह है कि एलजी ने अवैध रूप से एल्डरमैन की नियुक्ति की है और मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में है। यह तर्क भी दिया कि दिल्ली सरकार के पास वैसे भी ज्यादा शक्तियां नहीं हैं।
इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि दिल्ली सरकार को स्टूडेंट्स के स्कूल न जाने या किताबें नहीं मिलने की कोई चिंता नहीं है। कोर्ट ने दोहराया कि आपकी रुचि केवल सत्ता में है।… यह सत्ता का सर्वोच्च अहंकार है।
कोर्ट ने कहा कि एक अदालत के रूप में, किताबें, वर्दी आदि का वितरण… यह हमारा काम नहीं है। हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि कोई अपने काम में विफल हो रहा है… आपका क्लाइंट सिर्फ सत्ता में रुचि रखता है।
मुझे नहीं पता कि आप कितनी शक्ति चाहते हैं… समस्या यह है कि आप सत्ता हथियाने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए आपको सत्ता नहीं मिल रही है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वह उसे हल्के में न ले। एसीजे मनमोहन ने कहा कि मामले में दिल्ली सरकार के रुख से साफ हो रहा है कि दिल्ली में चीजें बहुत खराब हैं, एमसीडी के तहत लगभग हर प्रमुख पहलू ठप पड़ा है।
दिल्ली सरकार की सिर्फ सत्ता में रुचि
दो लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को नए सेशन की किताबें देने में नाकामी के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली दिल्ली सरकार और AAP के नेतृत्व वाली MCD को फटकार लगाई है।
तिहाड़ में बंद केजरीवाल की ओर इशारा करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि AAP प्रमुख ने अपनी गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न देकर व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा है।
इन टिप्पणियों के साथ हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट में MCD स्कूलों में बच्चों को नए सेशन की किताबें न मिलने और टिन शेड में पढ़ाई को मजबूर बच्चों का मुद्दा उठाया गया था। उधर, AAP ने कहा कि MCD का काम रुकने के पीछे LG वी.के. सक्सेना जिम्मेदार हैं।