एसिड हमले की एक कहानी अलीगढ़ में भी सिस्टम व समाज पर सवाल खड़ा करने वाली है। आगरा की रुकैया संग अलीगढ़ में एसिड हमले की घटना हुई। मगर उसे इस घटना की प्राथमिकी दर्ज कराने में बीस वर्ष लग गए। वह भी तब जब एक दिन अधिकारियों से उसकी मुलाकात हो गई। आनन फानन रिपोर्ट दर्ज किए जाने के बाद आरोपी जेल भेजा गया, जो अभी भी जमानत न मिलने के कारण जेल में है। मगर रुकैया है कि उसे सजा दिलाने तक लड़ने का जज्बा मन में पाले हुए है।
इस कहानी की शुरुआत तब हुई, जब आगरा पीली पोखर इलाके की रुकैया 14 वर्ष की थी। वह 2002 में अपनी बहन की ससुराल देहली गेट के तुर्कमान गेट में आई थी। जहां उसकी बहन के 24 वर्षीय देवर आरिफ ने उसे परेशान करते हुए उस पर शादी का दबाव बनाया। रुकैया नहीं मानी तो आरोपी ने उस पर 7 सितंबर 2002 को एसिड से हमला कर दिया। जिससे उसका चेहरा आदि हिस्सा झुलस गया। उसके इलाज में कुल 12 ऑपरेशन हुए। परिवार के दबाव में वह सिर्फ इसलिए उस समय चुप रही कि बहन का परिवार टूट जाएगा।
2010 में उसकी शादी अलीगढ़ मामूद नगर के जाहिद संग कर दी। जिससे एक बेटा हुआ। मगर उसने भी 2016 में घर से निकाल दिया। इसके बाद मायके आगरा पहुंचकर वह एसिड हमले की पीड़ितों के सर्वाइवल के लिए काम कर रहे शीरोज हैंगआउट कैफे में काम करने लगी। वहां 6 दिसंबर 2022 को तत्कालीन एडीजी जोन राजीव कृष्ण व कमिश्रर आगरा प्रीतिंदर सिंह आए। जहां उनकी रुकैया से मुलाकात हुई। रुकैया से उन्होंने पूरी घटना के बारे में पूछा तो उसने आरोपी को सजा दिलाने की इच्छा जताई।

